🔹 मुख्य खबर: पाकिस्तान ने ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया विकिपीडिया को देश में पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया है।
🔹 कारण: पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (PTA) के अनुसार, विकिपीडिया ने ईशनिंदा से जुड़ी विवादित सामग्री को हटाने से इनकार कर दिया था।
🔹 PTA का बयान: विकिपीडिया को 48 घंटे की चेतावनी दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसीलिए अब साइट ब्लैकलिस्ट कर दी गई है।
🔹 विकिमीडिया फाउंडेशन की प्रतिक्रिया: फाउंडेशन ने कहा कि वे कंटेंट पर सीधा नियंत्रण नहीं रखते। साइट पर सामग्री सामूहिक योगदान से तय होती है। उन्होंने सरकार से फैसला वापस लेने की अपील की है।
🔹 पिछले उदाहरण: पाकिस्तान इससे पहले भी फेसबुक, यूट्यूब और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स को अस्थायी रूप से ब्लॉक कर चुका है।
🔹 चिंता की बात: इस कदम से पाकिस्तान के करोड़ों नागरिक मुफ्त और स्वतंत्र ज्ञान तक पहुंच से वंचित हो सकते हैं।
📌 निष्कर्ष: ये प्रतिबंध केवल एक वेबसाइट नहीं, बल्कि सूचना की स्वतंत्रता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
जब इंटरनेट का विस्तार हुआ और सूचनाओं के आदान-प्रदान ने रफ्तार पकड़ी, तब विकिपीडिया एक क्रांति की तरह उभरा। यह ऐसा मंच बना, जहां दुनिया भर के लोग न केवल ज्ञान हासिल करते हैं, बल्कि उसमें योगदान भी देते हैं। लेकिन अब पाकिस्तान में इस खुले ज्ञान के खजाने पर ताला जड़ दिया गया है।
क्यों हुआ विकिपीडिया पर प्रतिबंध?
पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (PTA) ने विकिपीडिया को पहले नोटिस जारी किया और फिर उसे 48 घंटे की चेतावनी दी। कहा गया कि साइट से ‘धार्मिक रूप से आपत्तिजनक’ सामग्री हटाई जाए। लेकिन जब विकिपीडिया ने इस आदेश का पालन नहीं किया, तो उसे पाकिस्तान में पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया गया।
क्या है विवाद की जड़?
विवाद मुख्य रूप से उन लेखों को लेकर है, जिन्हें पाकिस्तान सरकार ईशनिंदा से जुड़ा मानती है। PTA के अनुसार, विकिपीडिया को सामग्री हटाने और जवाब देने का पर्याप्त अवसर दिया गया, लेकिन फाउंडेशन ने इस पर कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया।
विकिमीडिया की सफाई
विकिपीडिया का संचालन करने वाली संस्था विकिमीडिया फाउंडेशन ने साफ किया कि साइट पर क्या रहेगा, यह एक केंद्रीकृत निर्णय नहीं होता। दुनिया भर के स्वयंसेवक सामूहिक रूप से कंटेंट पर काम करते हैं। फाउंडेशन का कहना है कि साइट को ब्लॉक करना पाकिस्तान की जनता को वैश्विक ज्ञान से वंचित करने जैसा है।
क्या यह सिर्फ विकिपीडिया की बात है?
नहीं, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब पाकिस्तान ने डिजिटल मंचों पर सख्ती दिखाई हो। इससे पहले फेसबुक, यूट्यूब और टिकटॉक जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स को भी अस्थायी या स्थायी रूप से ब्लॉक किया जा चुका है। ईशनिंदा से जुड़ी सामग्री पाकिस्तान में बेहद संवेदनशील मुद्दा है, और इसे लेकर अक्सर डिजिटल सेंसरशिप लागू की जाती रही है।
सूचना की स्वतंत्रता बनाम धार्मिक भावनाएं
यह घटना एक गहरे सवाल को जन्म देती है—क्या धार्मिक आस्थाओं की रक्षा के नाम पर अभिव्यक्ति और ज्ञान की स्वतंत्रता को रोका जा सकता है? क्या सूचनाओं पर नियंत्रण, किसी देश के नागरिकों को और अधिक अंधकार में नहीं धकेलता?
आगे क्या होगा?
फिलहाल, PTA का कहना है कि यदि विकिपीडिया विवादित सामग्री हटाने को तैयार होता है, तो प्रतिबंध पर पुनर्विचार किया जा सकता है। लेकिन इस दौरान पाकिस्तान की 24 करोड़ की आबादी एक ऐसे ज्ञान भंडार से कट चुकी है, जो उन्हें न केवल दुनिया से जोड़ता है, बल्कि सोचने की आज़ादी भी देता है।
निष्कर्ष
विकिपीडिया पर प्रतिबंध केवल एक वेबसाइट को बंद करने भर की बात नहीं है, यह उस संघर्ष का प्रतीक है जो आज़ादी और नियंत्रण के बीच लगातार चलता रहा है। सवाल यह है कि क्या हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं जहां डिजिटल दुनिया में भी सरहदें खींच दी जाएंगी?