भारत वर्ष के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की जन्म पत्रिका का अवलोकन करते हुए एस्ट्रोलॉजर रितु सिंह (Astrologer Dr. Ritu Singh) ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की कुंडली वृश्चिक लग्न की है. लग्नेश मंगल भाग्येश चंद्रमा के साथ लगन में विराजमान है. वर्तमान समय में चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा चल रही है. सूर्य दशम भाव का स्वामी होकर लाभ भाव में विराजमान है चतुर्थेश शनि भी सूर्य के साथ दशम भाव में बैठकर सुख भाव यानी चतुर्थ स्थान को देख रहे हैं. गुरू त्रिकोण स्वामी होकर केन्द्र में है, बुध उच्च का होकर ग्यारहवें भाव में है.
Astrologer Ritu Singh ने बताया कि रूचक योग महा लक्ष्मी योग गज केसरी योग बुधादित्य योग नीच भंग राजयोग जैसे योग इन की जन्मपत्री की विशेषता है, साथ ही साथ जन्म से आज तक इनकी जितनी भी दशाएँ आयी है उन सब का सम्बंध और दशम भाव से बना है. ये भी एक विशेष योग होता है, तो निश्चय ही दैव योग से या प्रारब्ध से मोदी को एक शानदार जन्मपत्रिका प्राप्त हुई है.
किन्तु फिर भी मैं अपने विवेचन के आधार पर प्रधानमंत्री मोदी की कुंडली को पुरुषार्थ प्रधान कहना चाहूंगी लग्न में महालक्ष्मी योग बन रहा है. किन्तु मंगल ज़ीरो अंश का है और नवमांश में नीच का हो गया है अतः रूचक योग पूर्ण नहीं है सूर्य भी ज़ीरो अंश का है बुध भी ज़ीरो अंश का होकर वक्री और अस्त है नवांश कुंडली में नीच का मंगल और सूर्य शत्रु राशि में है. ऐसे में यह कहना कि मोदी को सब कुछ भाग्य से मिला है अतिश्योक्ति होगी उन्होंने अपना भाग्य स्वयं अपनी मेहनत से लिखा है.
वर्तमान समय चंद्रमा में सूर्य का अंतर है जो अगस्त 2021 तक रहेगा उसके बाद उनकी मंगल की महादशा आरंभ हो रही है. जो सात वर्ष तक रहेगी मंगल लग्नेश होने के साथ साथ षष्ठेश भी है छठा भाव रोग और शत्रु का होता है ,और गोचर में केतु लगन में मंगल के ऊपर से और राहू सप्तम में गोचर कर रहा है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं है.
Astrologer Ritu Singh अनुसार इस समय मोदी जी को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. षष्ठेश मंगल के ऊपर से केतु का भ्रमण शत्रुओं को प्रबल कर सकता है सप्तम राहू प्रजा में असंतोष दे सकता है. जिसकी शुरुआत हो चुकी है इस दशा में मोदी जी को अत्यंत सावधानी से निर्णय लेने की आवश्यकता होगी, साथ ही साथ आवश्यक ज्योतिषीय उपाय भी कराना चाहिए.
2022 के अन्त से 2023 तक मानसिक शारीरिक और राजनीतिक तीनों दृष्टि से मोदी जी को सतर्क रहने की आवश्यकता है. 2024 में शनि कुंभ राशि में रहेंगे जो की कुंडली में 29 अंश अर्थात मृतावस्था में अस्त है. सूर्य के नक्षत्र यानी शत्रु के नक्षत्र और सूर्य की राशि में स्थित है. वृश्चिक लग्न के लिए शनि और मंगल दोनों ही कारक नहीं होते हैं.
ये बात उनको ध्यान रखनी होगी के पी पद्धति से देखें तो नरेन्द्र मोदी जी के जन्म से आज तक जितनी भी दशायें उनके जीवन में आयी है उन सभी का संबंध दशम भाव से अवश्य बना रहा है. पहली बार मंगल की दशा में यह क्रम टूट रहा है यह भी बहुत अच्छा संकेत नहीं है. अष्टकवर्ग पर नज़र डालें तो कुंभ में शनि को दो अंक मिला है जो निराशाजनक है.
Astrologer Ritu Singh का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी का जन्म अनुराधा नक्षत्र में हुआ है. इस नक्षत्र में जन्में जातक अपने पुरुषार्थ के बल पर भाग्य बदलने और सफल होने का दम रखते हैं. किंतु मेहनत के साथ साथ यदि ज्योतिषीय आंकलन भी करा लिया जाए तो सोने पर सुहागा हो जाता है. यही बात मोदी के ऊपर भी लागू हो रही है. ग्रह नक्षत्र गोचर और दशा के अनुसार 2022 के बाद का समय उनके राजनीतिक भविष्य के लिए चिंता जनक हो सकता है किन्तु यदि हमारे प्रधानमंत्री अपनी जन्म पत्रिका का एक निष्पक्ष ज्योतिषीय आंकलन करवा कर कुछ दिशा निर्देश ले सके और उनका पालन करें तो उनके लिए राजनीतिक राह सुगम हो सकती है.