हम में से बहुत कमोगों को ही मच्छरों की प्रजातियों ( Mosquito Species ) के बारे में जानकारी होगी। तो आज इस लेख द्वारा हम आप सभी को उसी के बारे ने बतानेवाले है। आज का समय ऐसा चल रहा है, जैसे अब बीमारियों का ही दुनिया पर राज हो। दिन भर दिन नई बिमारिया जन्म ले रही है, ऐसा हम अब कह सकते है। पर इन जानलेवा बीमारियों के कारण हम सभी डर डर कर दिन आगे ढकेल रहे है।
और साथ ही अब बारिश का मौसम है। इस समय ज्यादा तर मच्छरों की ही बीमारियां लोगों को हैरान कर देती है। हालही में 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस ( world mosquito day ) हुआ। इसी दिन याने की 20 अगस्त 1897 में डॉ. रोनाल्ड रॉस ( Dr Ronald Ross ) इन्होंने कोलकाता में मलेरिया के जन्तु यह मच्छरों के पेट में रहने की खोज की। यह खोज अपने ही देश में लगने की वजह से इस दिन को एक अन्य सामान्य महत्व प्राप्त हुआ। और यह दिन विश्व मच्छर दिवस के नाम से सभी जगह मनाया जाता है।
पूरे विश्व में मच्छरों के लगभग 3500 प्रजाति है यह प्रजाति एनाफिलीस, कुलेक्स, एडिस और मंसोनिया यह चार जमातियों में बाट गए है। एनाफिलिस मच्छर मलेरिया फैलाते है, कुलेक्स मच्छर एलिफेंटियासिस और जापानी मैनिजाइटिस फैलाते है। एडीज मच्छर जीका, डेंगू, चिकनगुनिया फैलाते है। और मैंसोनिया मच्छर एलिफेंटियासिस का कारण बनते हैं।
- मलेरिया फैलाने वाले मच्छर – यह मच्छर उबलते साफ पानी में अंडे देते हैं। मच्छर के पंखों पर सफेद धब्बे होते हैं और यह दीवार से 45 डिग्री के कोण पर बैठता है। यह मच्छर रात या सुबह के समय काटते हैं और एक बार काटने के बाद मत जाना पूरी तरह से दीवारों पर 3 दिनों तक टिका रहता है। इसलिए मच्छर को नियंत्रित करने के लिए घर पर नियमित रूप से छिड़काव किया जाता है।
- डेंगू और चिकनगुनिया – यह आरोप एडीज मच्छर प्रजाति के कारण होता है। महाराष्ट्र में इस बीमारी तीन प्रजातियों से यह बीमारी सकती हैं। यह रोग एडिज एजिप्टी, एडिज एलबॉपिक्टस और एडिट विटेटस द्वारा फैलता है। यह मच्छर लटकी हुई वस्तुओं, पर्दे, तारों के साथ – साथ अंधेरी और ठंडी जगहों पर भी रहते है। इसलिए इन रोगों में मुख्य रूप से इन मच्छरों को करने के लिए धुएं का छिड़काव किया जाता है। यह मच्छर अपने अंडे उबाल कर रखे हुए साफ पानी में देता है।
- एलिफेंटियासिस – एलिफेंटियासिस क्यूलेक्स मच्छर की प्रजाति से फैलता है। एलिफेंटियासिस क्यूलेक्स क्विंसिफीसीएटस जीनस के कारण होता है। यह मच्छर गंदे और प्रदूषित पानी में पनपते हैं। गटर, नालियों, सेप्टिक टैंक में अंडे देना। इस रोग में नैल्यों की निकासी, सेप्टिक टैंक पर जाल, वेंट पाइप पर जाल आदि लगाने के उपाय किए जाते है।