Media Hindustan : केवलादेव राष्ट्रीय पार्क घना पक्षी विहार Keoladeo National Park राजस्थान के भरतपुर में स्थित है। इसे पहले भरतपुर पक्षी विहार के नाम से जाना जाता था। सन 1956 में इसे अभ्यारण का दर्जा मिला। सन 1981 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। अभ्यारण में हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं।
केवलादेव अभ्यारण को यूनेस्को से 1985 में विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त हुआ। यूनेस्को से विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त करने वाला यह भारत का पहला अभ्यारण है। केवलादेव अभ्यारण में लगभग 71 प्रजातियों की तितलियां पाई जाती हैं। इस अभ्यारण में लगभग 400 प्रकार के देशी विदेशी पक्षी पाए जाते हैं। इनमें साइबेरियन सारस तथा लाॅर्ज हाॅक मुख्य है।
घोमरा ,उत्तरी शाह ,चकवा ,जल पक्षी ,लालसर बत्तख जैसे विलुप्त प्राय पक्षियों का भी यहां बसेरा है। गंभीरी और बाणगंगा जैसी नदियां इस अभयारण्य बीच से होकर गुजरती है। इतना ही नहीं यह एशिया की सबसे बड़ी प्रजनन स्थली है। केवलादेव घना पक्षी विहार पक्षियों का स्वर्ग माना जाता है।
केवलादेव अभ्यारण पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है यह भारत के प्रमुख पर्यटन परिपथ ‘सुनहरा त्रिकोण’ पर अवस्थित है सुनहरा त्रिकोण से आशय इसका दिल्ली, आगरा तथा जयपुर मार्ग पर होना है।
केवलादेव राष्ट्रीय पार्क इतिहास
इस अभ्यारण का नाम केवलादेव शिव मंदिर के नाम पर किया गया था । यह अभ्यारण लगभग 250 साल पुराना है केवला देव शिव मंदिर इस अभ्यारण में स्थित है। गंभीरी तथा बाणगंगा जैसी नदियों के गुजरने तथा प्राकृतिक ढलान होने के कारण इस अभ्यारण को अक्सर बाढ़ का सामना करना पड़ता है।भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने गंभीरी और बाणगंगा के संगम पर अजान नामक बांध का निर्माण करवाया।
घना पक्षी विहार भरतपुर के महाराजाओं के लिए उनकी पसंदीदा शिकारगाह थी। ब्रिटिश वायसराय के सम्मान में यहां सालाना शिकार का आयोजन किया जाता था। 1938 में भारत के गवर्नर जनरल लेनिन एवं उनके साथी विक्टर होम ने मिलकर यहां इस अभ्यारण में एक ही दिन में 4273 पक्षियों का शिकार किया था जिसमें मेंलोर्ड और टील जैसे पक्षी अधिकतम मात्रा में मारे गए थे।
भारत की स्वतंत्रता के पहले और बाद में भी 1972 तक भरतपुर के पूर्व महाराजाओं को उनके क्षेत्र में शिकार की अनुमति थी।
1982 में अभ्यारण से चारा ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके कारण किसानों गुर्जर समुदाय तथा सरकार के मध्य हिंसक झड़प हुई।
गोवर्धन ड्रेनेज प्रोजेक्ट
घना पक्षी विहार में पानी की समस्या को दूर करने के लिए गोवर्धन ड्रेनेज प्रोजेक्ट को शुरू किया गया। इसके तहत करौली स्थित पांचना बांध से पानी की आपूर्ति की गई है ।घना पक्षी विहार में अजान बांध से 15 एमसीएफटी पानी दिया जाएगा।
भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ सलीम अली की कर्म स्थली भी यह केवलादेव राष्ट्रीय पार्क ही है सलीम अली ने इस अभ्यारण में रहकर पक्षियों की प्रजातियों पर स्पीशीज पुस्तक की रचना की थी।
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