(Jyoti Jha ‘s book ‘Anandi’) साहित्य समाज का दर्पण है और इसके द्वारा समाज की अनेक कुरीतियों पर प्रहार किया जा सकता है। हमारे समाज में महिलाओं के प्रति हालात बहुत ज़्यादा परिवर्तित नहीं हुए हैं। जहां एक ओर महिलाएँ प्रगति की मिसाल बन रही हैं, वहीं दूसरी ओर कई भयावह सामाजिक विषमताएँ उनके जीवन में ग्रहण की तरह आज भी मौजूद हैं। हर दिन उन्हें समाज एवं परिवार में अपना यथोचित स्थान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
ऐसी की कुछ कुंठित मानसिकता जो हमारे प्रगतिशील समाज में महिलाओं के प्रति व्याप्त है, और जो दशकों से चली आ रही है; उनमें से चंद पहलुओं को लेखिका ज्योति झा (Jyoti Jha) ने अपनी आगामी पुस्तक ‘आनंदी’ (Book ‘Anandi) द्वारा दर्शाया है। महिला सशक्तिकरण के सही अर्थ को समाज के समक्ष प्रस्तुत करती पुस्तक ‘आनंदी’, भारत के एक छोटे से गाँव में जन्मी लड़की की कहानी है जो कम उम्र से ही विलक्षण बुद्धि की मिसाल बन जाती है। समाज की कुरीतियों से लड़ने की अपनी शक्ति, विषम परिस्थितियों में भी निर्भीकता से डटे रहना, एवं साहसिक कारनामों से लोगों को चकित कर देने का हौसला रखने वाली यह लड़की आगे चलकर अपने जीवन के जद्दोजहद एवं संघर्षों का किस प्रकार सामना करती हुई आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनती है, यह इस पुस्तक में बखूबी देखने को मिलेगा।
अपने लेखन में एक उत्कृष्ट प्रतिभा और सराहनीय अवलोकन दर्शाती ज्योति झा (Author Jyoti Jha) शैक्षिक योग्यता से एमबीए और कार्यानुभव में इंफोसिस और व्हर्लपूल जैसे कॉरपोरेट्स से जुड़ी रह चुकी हैं। ज्योति झा ने अमेरिका एवं इंग्लैंड में कई वर्षों तक निवास किया और वे “द टाइम्स ऑफ इंडिया राइट इंडिया सीजन ३” की एक सम्मानित विजेता रह चुकी हैं। लॉक्डाउन के दौरान ज्योति ने ‘द रियलम्स ऑफ़ ह्यूमन इमोशन्स’ एवं ‘अराउंड द वर्ल्ड थ्रू माई लेंस’ जैसी प्रशंसित पुस्तकों द्वारा अंग्रेज़ी साहित्य में अपना योगदान दिया है और जो पाठकों द्वारा बहुत पढ़ी और पसंद भी की गयी। आई आई टी दिल्ली (IIT Delhi) और आई आई एम लखनऊ (IIM Lucknow) जैसे प्रसिद्ध संस्थानों के टॉक शो में वक्ता रह चुकी ज्योति अपनी लेखन गतिविधियों के माध्यम से समाज को एक सकारात्मक दिशा देने की कोशिश में प्रयासरत है।
अपनी पुस्तकों के माध्यम से दुनिया को उत्साहित करती एवं प्रेरणा प्रदान करती, ज्योति झा ‘आनंदी’ द्वारा भी एक लड़की के हौसले, बुद्धी, एवं निडरता, जिसके बल पर वह समाज की विषमता के विरुद्ध लड़ने की क्षमता रखती है, इस बात को प्रस्तुत करने का प्रयास कर रही हैं। शिक्षा, स्वतंत्रता एवं आत्मनिर्भरता की महत्ता को प्रस्तुत करती यह पुस्तक समाज में एक सकारात्मक परिवेश की स्थापना के लिए प्रयासरत है और अपनी नायिका के माध्यम से महिलाओं को हर परिस्थिति में डटकर रहने के लिए हौसला प्रदान करती है।
अपने जीवन का तक़रीबन एक दशक अमेरिका और इंग्लैंड में बिताने के बावजूद ज्योति ने अपनी इस पुस्तक में ग्रामीण परिवेश का यथार्थ चित्रण परस्तुत किया है और ख़ासकर साठ-सत्तर के दशक के ग्रामीण भारत को सटीकता से दर्शाया है। अपनी लेखनी से समाज को प्रकाशित करती लेखिका ज्योति झा (Author Jyoti Jha) इस पुस्तक द्वारा पाठकों पर एक अमिट छाप छोड़ेंगी जो समाज के हर वर्ग की महिला के लिए प्रेरणादायी होगी।