राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना के न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद तक 5.6 किलोमीटर के भूमिगत खंड के निर्माण के लिए एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को ठेका दिया है।
देश की पहली रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) को क्रियांवित करने वाले एनसीआरटीसी ने कहा कि यह ठेका निर्धारित प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों के बाद दिया गया।
एनसीआरटीसी के प्रवक्ता ने कहा, अब 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के सभी सिविल वर्क के टेंडर दिये जा चुके हैं।
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच गतिरोध के बीच दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना के एक हिस्से पर 5.6 किलोमीटर लंबी सुरंग के निर्माण के लिए एसटीईसी सबसे कम बोली लगाने वाले के रूप में उभरने के बाद पिछले साल जून में विवाद भड़क गया था।
82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर को एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है और खरीद बैंक और सरकार के दिशा-निर्देशों से संचालित होती है।
एडीबी के खरीद दिशानिर्देशों के अनुसार बैंक के सभी सदस्य देशों के विक्रेता बिना किसी भेदभाव के बोली प्रक्रिया में भाग लेने के पात्र हैं।
एनसीआरटीसी ने 9 नवंबर 2019 को न्यू अशोक नगर से दिल्ली गाजियाबाद मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के साहिबाबाद तक सुरंग के निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं।
पाँच कंपनियों ने तकनीकी बोली प्रस्तुत की और सभी पाँच बोलीदाता तकनीकी बोली मूल्यांकन में योग्य थे।
एडीबी से टेक्निकल बिड मूल्यांकन पर एनओसी मिलने के बाद फाइनेंशियल बिड खोली गई।
पांच फर्मों में से शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड सभी मापदंडों पर क्वालीफाई करने के बाद निविदा के लिए एल1 बोलीदाता के रूप में उभरा और उसे ठेका दिया गया।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर देश में लागू किया जा रहा पहला आरआरटीएस कॉरिडोर है। अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली से मेरठ आने-जाने का समय सड़क मार्ग से मौजूदा तीन-चार घंटे से घटकर एक घंटे से भी कम रह जाएगा।