पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार ने मुकुंदरा हिल्स टाईगर रिजर्व को आबाद करने में कोई कसर नहीं रखी और बाघ भी रिलीज किए थे। पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने बताया की हाल ही में जिन अधिकारियों ने मुकुंदरा के सेल्जर क्षेत्र में बाघिन को छोड़ा है उन्होंने सेल्जर को उस समय भी बाघ रिलीज करने के लिए उचित नहीं माना था कारण उच्च जैविक दबाव, भरी संख्या में मवेशियों की चराई, सुरक्षा की कमी का कारण बताया गया था और अब उन्होंने बाघिन को वहा रिलीज किया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि सरकार द्वारा दरा के जंगलों को उबारने में किया गया अपार प्रयास और खर्च बेकार ही गया और कहा कि राज्य सरकार को इस तरह के गलत कदम के पीछे के तर्क विज्ञान समझाने की जरूरत है।
The immense effort & expenditure in recovering the forests of Darrah goes waste!@RajGovOfficial needs to explain the logic & science behind such an unsound step! (3/3)@moefcc @byadavbjp @ForestRajasthan @PagmarkF @DevvartHada #MukundaraHills #MHTR #SaveTigressMT4 #SaveMukundara
— Vasundhara Raje (मोदी का परिवार) (@VasundharaBJP) April 30, 2022
जब बाघिन MT-4 को MHTR में सेल्जर शिफ्ट करने की बात हुई तो अधिकारियों द्वारा वहां का बायोटिक दबाव ज्यादा होना एवं सुरक्षा का अभाव बताया गया था। मुझे आश्चर्य है यह देखकर कि जिन अफसरों ने सेल्जर को बाघिन के लिए उचित नहीं माना था, आज उन्हीं ने बाघिन को वहां खुला छोड़ दिया है।@moefcc
— Vasundhara Raje (मोदी का परिवार) (@VasundharaBJP) April 30, 2022
पगमार्क फाउंडेशन के सदस्यों ने आज पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल से मुलाकात कर मुकुंदरा हिल्स टाईगर रिजर्व की समस्याओं पर चर्चा की। पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने बताया की दरा रेंज में सुरक्षा दीवार बनाई गई, जो 82 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र को संरक्षित करती है। इस क्षेत्र में करोड़ों रुपए लगाकर बाघों को बसाने की योजना थी, बाघिन को यहां से शिफ्ट करने से करोड़ों रुपए व प्रयासों पर पानी फिर गया। दरा रेंज में ग्रामीणों को बाघों के प्रति संवेदनशील बनाने व बाघों से टकराव टालने के लिए पूर्व में प्रशिक्षित किया गया था, जबकि सेल्जर रेंज में अब तक ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया। ग्रामीण बाघों के साथ कैसे तालमेल बैठाना है, इस बारे में जागरूक नहीं हैं। ऐसे में टकराव मानव व बाघ के लिए घातक हो सकता है। बाघिन एमटी 4 को 12 अप्रैल को सेल्जर क्षेत्र में रिलीज किया गया था इससे पहले यह मशालपुरा एरिया में स्वच्छंद विचरण करती थी।
बाघिन ने सेल्जर छोड़ अन्य क्षेत्रों मे मूवमेंट शुरू कर दिया है। अभी बाघिन का मूवमेंट कोलीपुरा के जंगलों में है। 10 हजार से अधिक कैटल प्रेशर के क्षेत्र में चरवाहे जंगलों में विचरण करते हैं, पशु चराते हैं। कभी भी कोई घटना हो सकती है, जिसकी जिम्मेदारी वन विभाग की होगी। सेल्जर क्षेत्र आबादी क्षेत्र है। जंगल की इस रेंज के आस-पास काफी गांव हैं, जिनमें बड़ी संख्या में ग्रामीण निवास करते हैं। रात-बेरात उनका आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बन सकती है, जो लोगों, जानवरों, संसाधनों तथा आवास पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। बाघिन क्षेत्र में घूमेगी तो कभी भी हादसा संभव है। बाघिन की सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। सुरक्षा के नाम पर बनी दीवार कई जगह से क्षतिग्रस्त है। ऐसे में बाघिन को भी शिकारियों से खतरा है। वाटर पॉइंट्स से लेकर वायरलेस नेटवर्क की कमी बाघों के संरक्षण की दिशा में अच्छे संकेत नहीं देता। बाघिन एमटी-4 को सेल्जर से निकालकर पुन: मुकुन्दरा में शिफ्ट किया जाए। साथ ही, बाघिन की जोड़ी बनाने के लिए जो बाघ भविष्य में शिफ्ट किए जाने हैं, उन्हें भी मुकुन्दरा की दरा रेंज में शिफ्ट किया जाए, तभी राजस्थान का यह बाघ संरक्षित क्षेत्र आबाद हो सकेगा और पर्यटन का बड़ा केन्द्र बनेगा।
इस दौरान पगमार्क फाउंडेशन के अर्पित मेहरा, सत्येंद्र सिंह हाड़ा बड़ाखेड़ा, सनी मलिक मौजूद रहे।