कोटा. जंगल से जंगल के रास्ते 150 किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर रणथम्भौर से मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिवर्ज तक आने वाला बाघ एमटी-3 जंगलों को बचाने की मुहिम में किसी नायक से कम नहीं था। इससे पहले ब्रोकन टेल बाघ ने यह मशाल जलाई थी, जिस थामे एमटी-3 आगे बढ़ रहा था, लेकिन असमय ही वह काल का ग्रास बन गया। इतनी दूर प्राकृतिक तरीके से आना उसकी मानसिक दृढ़ता का प्रतीक था। यह कहना है पगमार्क फाउंडेशन के अध्य्क्ष देवव्रत सिंह हाड़ा का।
पगमार्क फाउंडेशन की ओर से रविवार को मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा क्षेत्र में एमटी-3 की आकस्मिक मौत पर शोक सभा का आयोजन किया गया। एमटी-3 को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए फाउंडेशन के संयोजक निमिश गौतम ने बताया कि श्रद्धांजलि सभा में वन्यजीव प्रेमी सहित दरा, मशलपुरा, मोरुकलां के ग्रामीम शामिल हुए। गौतम ने कहा कि बाघ की आकस्मिक मौत शंकाएं पैदा करती है। उसके उपचार में हुई देरी लापरवाही दर्शाती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। अर्पित मेहरा ने बताया कि राज्य में मुकुंदरा में नया घर मिलने के बाद बाघ संरक्षण के लिए सुरक्षित गलियारे की स्थापना सबसे जरूरी कवायद है।
श्रद्धांजलि सभा में भाजपा मंडल अध्य्क्ष देवीशंकर गुर्जर, यूथ कांग्रेस के ब्लॉक अध्य्क्ष मुकेश गुर्जर, शिवराज, शशांक राजावत, अक्षत मिश्रा, भैरूलाल एवं अन्य ग्रामीण मौजूद रहे।