भारत विकास परिषद के हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा ने अतिदुर्लभ ओपन हार्ट सर्जरी कर बचाई दो साल की बच्ची की जान
जन्म से दोनों धमनियां मिली हुई थीं और सभी नसें उल्टी-पुल्टी लगी हुई थीं
डॉ. सौरभ शर्मा का दावा, पूरे देश का ऐसा पहला केस, जिसकी गूगल पर सर्च करने पर आजतक कोई रिपोर्टिंग नहीं
कोटा, 26 अगस्त। कोटा के भारत विकास परिषद चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा ने दो साल की बच्ची की एक ऐसी हार्ट सर्जरी की है, जिसके बारे में उनका दावा है कि यह अतिदुर्लभ हार्ट सर्जरी है जिसके बारे में उन्होंने खुद ने ना देखा और ना ही सुना है, और गूगल पर सर्च करने पर भी पूरे हिन्दुस्तान में इस तरह की हार्ट सर्जरी को किसी भी दूसरे हार्ट सर्जन ने रिपोर्टेड नहीं किया है।
भाविप चिकित्सालय पत्रकारों से वार्ता करते हुए हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि इस अतिदुर्लभ केस में बच्ची के जन्म से ही दोनों धमनियां आपस में मिली हुई थी और हार्ट से निकलने वाली सभी नसें उल्टी-पुल्टी लगी हुई थी। बच्ची के हार्ट की ओपन हार्ट सर्जरी करने वाले हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि टोंक निवासी ओव्या दो साल की आठ किलो वजनी बच्ची की हालत इतनी खराब थी कि उसके पिता ने उसे जयपुर समेत अन्य शहरों में भी हार्ट स्पेशलिस्ट को दिखाया, पर सभी ने बच्ची की हालत काफी नाजुक बताते हुए ऑपेरशन में जान जाने का रिस्क बताया।
भारत विकास परिषद के हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि सामान्य तौर पर हार्ट से दो महाधमनी एओट्रा और पल्मोनरी निकलती है, एक पूरे शरीर को और दूसरी फेफड़ों को खून देती है। इस बच्ची के दोनों महाधमनियों ने ह्रदय से दो या तीन मिलीमीटर निकलने के बाद दोनों ने आपस में जुड़कर कॉमन चेम्बर बना लिया। मतलब दोनों आपस में जुड़ी हुई थी, जबकि सामान्य तौर पर दोनों अलग-अलग होती हैं। उसके बाद राइट साइड के एओट्रा में से राइट की फेफड़ों की धमनी व लेफ्ट की फेफड़े की धमनी पल्मोनरी आर्टरी से निकल रही थी। एओट्रा भी आधा बनकर बीच में ही रूक गया था, शेष पूरे शरीर को खून देने वाला एओर्टा को फेफड़े की नस बना रही थी। मतलब कि सबकुछ ही उल्टा-पुल्टा चल रहा था। जिसकी वजह से बच्ची के शरीर का वजन दो साल की होने के बाद भी मात्र 8 किलो ही था और उसकी कंडीशन भी काफी खराब हो चुकी थी। इस ऑपरेशन में दोनों महाधमनियां और दोनों के कनेक्शन बिल्कुल सही जोड़ने का काफी जटिल काम किया है। बच्ची की हालत अब पूरी तरह ठीक है।
आठ घंटे तक चला ऑपरेशन, दो दिनों तक घर नहीं गये
डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि ऑपरेशन काफी जटिल था, इसलिए आठ घंटे तक ऑपरेशन चला। इसमें बच्ची के हार्ट की झिल्ली से फेफड़े की महाधमनियां विकसित की और कृत्रिम झिल्ली से महाधमनी बनाई। इसके बाद हार्ट से निकलने वाली सभी नसों को उन दोनों महाधमनियों को जोड़ा। उन्होंने बताया कि इतने बड़े जटिल और अतिदुर्लभ केस को सफलतापूर्वक ऑपरेट करने से मन काफी उत्साहित और खुश था, लेकिन बच्ची के होश आने तक उसकी देखभाल के लिए दो दिनों तक घर नहीं जाकर अस्पताल में ही रूक रहे। ताकि कोई भी दिक्कत आए तो बच्ची को तुरंत देख सकें।
महीने में 21 दिन बीमार रहती थी
डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि जब बच्ची की सीटी स्केन कराई तो स्थिति वाकई बहुत खराब थी। पिता ने यह कहते हुए ऑपरेशन के लिए आग्रह किया कि बच्ची महीने के तीस दिनों में से 21 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहती है, बच्ची के पिता के आग्रह पर डॉक्टर ने ऑपरेशन का जोखिम उठाया।
मेट्रो सिटी को टक्कर दे रहा है कोटा
भाविप चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के संरक्षक श्याम शर्मा ने कहा कि भाविप चिकित्सालय के हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा एवं उनकी टीम द्वारा जो अद्भुद एवं जटिल ऑपरेशन किया जाना जिसका गूगल तक में जिक्र नहीं है, यह कोटा शहर समेत पूरे हाड़ौती संभाग के लोगों के लिए खुशी की बात और भारत विकास परिषद चिकित्सालय के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि हार्ट के क्षेत्र में मेट्रो सिटी की तर्ज पर यहां लोगों को सस्ता, सुलभ और अतिदुर्लभ इलाज मिल रहा है। गरीब लोगों की सेवा करने में भारत विकास परिषद को आनंद की अनुभूति होती है और हम इसको और बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाते चले जाएंगे। इस मौके पर भाविप चिकित्सालय के अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष भी मौजूद थे।