राजस्थान अरावली की पहाड़ियों के बीच नाथद्वारा बेसिन की घाटी में प्राचीन पुष्टि मार्गीय वैष्णव स्थल श्रीनाथ जी मंदिर (Shrinathji Temple Nathdwara) राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर उदयपुर से 45 किलोमीटर दूर स्थित है।
श्रीनाथ जी मंदिर के दर्शन करने सबसे अधिक पर्यटक गुजरात से आते है। यहां राजस्थान गुजरात ही नही बल्कि देश-विदेश से पर्यटक दर्शन करने पहुंचते है । यहां पर हर रोज मेले सा माहौल बना रहता है। औरंगजेब की धर्मांधता से प्रताड़ित वललभाचार्यजी के वंशज गोस्वामी दाऊजी महाराज भगवान श्री नाथ के स्वरूप को सुरक्षा के साथ मथुरा जतीपुरा से लेकर मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा राज सिंह द्वारा सुरक्षा का संकल्प उठाने के कारण नाथद्वारा में लाकर स्थापित किया।
तभी से यहां श्रीनाथजी की विधिवत सेवा पूजा अर्चना होती चली आ रही है। श्रीनाथजी की मूर्ति को स्वरूप कहा जाता है और मंदिर को घर क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव में घर में ही रह कर बड़े हुए थे इसलिए मंदिर कलात्मक ना होकर सामान्य घर स्वरूप ही है।
सेवा पद्धति में श्रीनाथजी के आठ प्रकार के दर्शन होते हैं यह दर्शन- मंगला, श्रंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, संध्या आरती और शयन है। प्रत्येक दर्शन के साथ श्री नाथ जी के वस्त्र, प्रसाद, भाव भंगिमा, नृत्य, पदावली में परिवर्तन होता है।
प्रसाद में मेवे खरखड़ी बाटी, खीर, रबड़ी, शक्कर दूध धर, फल आदि का स्वादिष्ट भोग पकवानों के रूप में लगाया जाता है जो पूर्णता शुद्ध देसी घी सात्विक प्रवृत्ति सोच व सौहार्द्र के साथ भेंट किया जाता है। भोग, सेवा आदि की व्यवस्था नाथद्वारा ट्रस्ट द्वारा की जाती है।
खास बात यह है कि भक्तजन गुमनाम पाने वाला श्रीनाथजी, भेजने वाला श्रीनाथजी के रूप में, मेवे, घी, नकदी सामान आदि लगातार भेजते रहते हैं। श्रीनाथजी के मंदिर में प्रवेश के लिए चौपाटी से लाल दरवाजे से मोती महल होकर प्रतिम पोल होकर 3 रास्ते हैं। भक्तजनों को श्रीनाथजी के दर्शन ‘डोल तिवारी’ में पहुंचने पर होते हैं।
अन्य दर्शनीय स्थल
श्रीनाथ जी मंदिर (Shrinathji Temple Nathdwara) के अन्य दर्शनीय स्थलों में नागारखाना, गोवर्धन पूजा चौक, धोली पाटिया, सिंह पोल, कमल चौक, मोती महल, श्री सुदर्शन चक्रराज, ध्वजाजी, रतन चौक, अनार चौक, षष्टि कोठा, मणि कोठा, श्री नवनीत प्रिया जी का मंदिर, श्री वल्लभाचार्य जी की बैठक, परिक्रमा गहनाघर, खर्च भंडार, (घी तेल के कुंड) श्री कृष्ण भंडार ( सोने चांदी की चक्कीया )खासा भंडार, प्रसादी भंडार, शाक घर, दूध घर, पालघर, मिश्री घर, पेड़ा घर,पताल घर, गुलाब घर, वस्त्र घर, रसोईघर, भव्य विविध देवालय मूर्तियां आदि प्रमुख है। यहां की गौशाला एवं व्यायामशाला भी देखने लायक है।
श्रीनाथजी के मंदिर में विशेष उत्सव दीपावली पर अन्नकूट जन्माष्टमी फूलडोल एवं मेला आदि है। अन्नकूट के दिन लगभग 125 मन चावल का भोग लगाया जाता है। दर्शन खुलते ही डोल तिवारी में आदिवासी युवक घुसकर इन चावलों को लूटते हैं तथा अपने आपको धन्य अनुभव करते हैं इस रोमांचक दृश्य को देखने हजारों लोग पहुंचते हैं।
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