पौराणिक कथाओं के अनुसार एक पुष्कर झील (Pushkar Lake) जिसका निर्माण स्वयं ब्रह्मा जी के हाथ से कमल पुष्प गिरने से हुई थी। ब्रह्मा जी द्वारा यज्ञ स्थल की खोज में उनके हाथ से यहां कमल पुष्प गिरा था और पानी की धारा बह निकली थी।
यही ब्रह्मा जी (Lord Brahma) ने यज्ञ किया और उसके पुष्कर झील का निर्माण हो गया। इस तरह अजमेर से लगभग 11 किलोमीटर उत्तर में नाग पहाड़ियों के नीचे पुष्कर झील का निर्माण हुआ। यह पुष्कर झील वह धार्मिक स्थल है जहां संसार के निर्माण करने वाले आदि पुरुष ब्रह्मा जी ने तपस्या की थी।
इसीलिए पुष्कर झील (Pushkar Lake) के किनारे विश्व का एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर स्थित है। भगवान ब्रह्मा जी (Lord Brahma) से संबंधित मंदिर के अलावा यहां सावित्री मंदिर,बद्रीनारायण मंदिर,वराह मंदिर एवं शिव आत्माश्वरी मंदिर स्थित है। साथ ही यहां पर विष्णु जी एवं शिव जी ने भी अवतरित होकर इस झील की महिमा बढ़ाई है। कहा जाता है कि यहां पर ही विष्णु जी ने वराह अवतार लिया था।
पांडव पुत्रों ने भी की थी यहां तपस्या:
पांचों पांडवों ने भी यहां आकर तपस्या की थी इसीलिए यहां पांडव कुंड भी उपलब्ध है। इस झील के किनारे ‘गऊ घाट’बाराह घाट’और ऐसे सैंकड़ों घाट और सैकड़ों मन्दिर स्थित है। जहां पर लोग आकर पूजा अर्चना ,तर्पण और अस्थि विसर्जन कार्य भी करते हैं।
पुष्कर मेला – हिंदू महीनों के अनुसार कार्तिक मास की एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर मेला लगता है। जिसमे बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते है कहा जाता हैं कि इस पवित्र झील के पानी से लोगो के स्नान करने से असाधारण पुण्य का लाभ और पापो से छुटकारा मिल जाता है।