# Painter Ashok Saroj #art #Art is my life
अशोक सरोज (Ashok saroj) बॉलीवुड के सिनेमैटोग्राफर और जाने-माने चित्रकार है. Media Hindustan से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि यह बड़ा ही चिंता का विषय है कि आधुनिकता की चकाचौंध में कलात्मक कार्य जैसे चित्रकला कहीं गुम सी प्रतीत होने लगी है.
अशोक सरोज ने बताया कि इंटरनेट क्रांति आने के बाद युवाओं का ध्यान मोबाइल पर बहुत अधिक बढ़ गया है जिस कारण वह अपनी संस्कृति और कला से दूर हो रहे हैं. पुराने समय में चित्रकार और कलाकार अपने चित्रों के माध्यम से अनेक प्रकार के विचारों और भविष्य की घोषणाओं का बोध मात्र एक चित्र से करने की शक्ति रखते थे.
अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि
साहित्य संगीत कला विहीन: , साक्षात पशु पुच्छ विषाण विहीन: ||
तृणम न खाद्न्नपि जीवमान: , तद भाग देयम परम पशुनाम ||
अर्थात जो मनुष्य साहित्य,संगीत अथवा किसी भी अन्य कला से विहीन है,वो साक्षात पुंछ और सींगो से विहीन जानवर की तरह है. यह जीव घास तो नहीं खाता पर अन्न से जीता रहता है.ऐसे मनुष्य को परम पशुओं की श्रेणी में रखना चाहिए.
अपने विचार व्यक्त करते हुए चित्रकार Ashok saroj कहते हैं कि
: सागर में गागर भरना आसान होता है | गागर में जो सागर भरता है ,वह रचनाकार महान होता है ||