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नई दिल्ली: मानव जाति के इतिहास में भारत द्वारा विश्व का तीसरा मानव शक्ति आधरित अर्थ शास्त्र प्रारूप तथा पांचवा समकालीन न्याय सूत्र हाल ही में जारी हुआ है , निसंदेह विश्व के इतिहास में यह अभूतपूर्व अलौकिक घटना है. उपरोक्त घटना को नास्त्रेदमस (Nautradamus) व फादर पियो तथा भविष्य पुराण में वर्णित भविष्यवाणी से जोड़कर देखा जा रहा है. जिसमें भारत में 21 वी शताब्दी में भारत में एक मुक्तिदाता के जन्म का वर्णन किया गया है तथा (इटली) फॉदर पीयो एक महान भविष्यवक्ता ने भी 2021 भारत में मुक्तिदाता के बारे में भविष्यवाणी की गई थी.
इतना ही नही भारत के पवित्र ग्रंथ भविष्य पुराण में भी लगभग वर्ष 2021 को लेकर कल्की भगवान के अवतार का वर्णन मिलता है. इसके अलावा जयपुर के बाबा ने 1 जून 2021 को अपनी अंतिम सांस के बारे में भविष्यवाणी करते समय बताया था, कि मेरे अंतिम सांस के समय से 287 दिन के अंदर भारत का मुक्तिदाता पूरे विश्व के सामने होगा. इसके साथ भारत के नए अर्थशास्त्र प्रारूप तथा न्याय सूत्र को विश्व पटल पर काफी गंभीरता से लिया जा रहा है, क्योंकि मानव जाति के हजारों साल के इतिहास में केवल दो प्रकार के अर्थशास्त्र ज्ञान ही मानव जाति को प्राप्त हुआ है. क्रमशः सरकारी अर्थ तंत्र तथा पूंजीवादी अर्थशास्त्र तथा मानव जाति ने चार न्याय सूत्र को मिलाकर वर्तमान लोकतांत्रिक तथा न्यायिक व्यवस्था का निर्माण किया है , परंतु वर्तमान में मानव जाति गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी आदि समस्याओं से प्रताड़ित है.
वहीं दूसरी तरफ वर्तमान लोकतांत्रिक वह न्यायिक व्यवस्था के बाद भी मानव जाति अपराध, छल कपट, आंदोलन रिश्वतखोरी जैसी समस्याओं का सामना कर रही है, जबकि भारत के पटल से जारी अग्रिम श्रेणी के मानव शक्ति आधारित अर्थशास्त्र प्रारूप द्वारा दावा किया गया है , कि भविष्य में गरीबी, बेरोजगारी को पूर्णता खत्म किया जा सकेगा. कुछ अर्थशास्त्री का मानना है कि उपरोक्त ज्ञान की परिकल्पना अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक अलौकिक घटना है, जो शताब्दियों के बाद घटित हुई है. वहां दूसरी तरफ विश्व के इतिहास के पांचवें न्याय शास्त्र (समकालीन) न्याय शास्त्र के बारे में न्याय शास्त्रियों के का कहना है, कि नया न्याय शास्त्र प्रारूप वर्तमान समय के न्याय शास्त्र प्रारूप से पूर्णता भिन्न है तथा उच्च कोटि का है , जिसके द्वारा अपराध, भ्रष्टाचार को पूर्णता खत्म किया जा सकेगा. उपरोक्त दोनों के संबंध में H.R Economic model तथा school of contemporary jurisprudence की पूर्णता सूचना पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है.
इतना ही नहीं, आश्चर्यचकित करने का एक मुख्यता कारण यह भी है कि , विश्व का तृतीय अर्थशास्त्र प्रारूप तथा पांचवा न्याय सूत्र की रचना करने वाला एक ही व्यक्ति है जिसका नाम दीपक शर्मा है. दीपक शर्मा को HR economics तथा school of contemporary jurisprudence के पितामह कि उपाधि प्राप्त है. दीपक शर्मा (Deepak Sharma)के बारे में खोजबीन करने पर पता चला कि इस व्यक्ति ने 24 वर्ष की आयु तक LLB ,MBA ,MCA, CFA तथा CS सहित पांच पेशेवर डिग्रियां अर्जित कर ली थी, निसंदेह उपरोक्त योग्यता के समक्ष कोई C.E.O, I.P.S या अन्य राजनेता वैश्विक स्तर पर शायद ही मुकाबला कर पाए .इतना ही नहीं, bदीपक शर्मा ने 26 वर्ष की आयु तक जन कल्याण हेतु विश्व का तीसरा अर्थशास्त्र प्रारूप तथा पांचवा न्याय सूत्र की रचना भी कर ली थीं.
मानव जाति के इतिहास में अर्थशास्त्र प्रारूप तथा न्याय सूत्र को रचित करने वाला दीपक शर्मा (Deepak Sharma) एकमात्र व्यक्ति है. अतः लोगों द्वारा दीपक शर्मा जी को ही मुक्तिदाता की संज्ञा दी जा रही है, लोगों द्वारा दीपक शर्मा को नास्त्रेदमस (Nautradamus) का शरण तथा फादर पियो की भविष्यवाणी के संदर्भ में जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि अगर भारत द्वारा नया अर्थशास्त्र प्रारूप तथा नया न्याय सूत्र बना लिया है, तो अभी तक भारतीय संसद में चर्चा क्यों नहीं हो रही तथा अभी तक दीपक शर्मा द्वारा संसद को संबोधित क्यों नहीं किया गया है. सत्यापन हेतु इस समय का इंतजार हम 130 करोड़ों भारतीयों के साथ-साथ पूरी मानव जाति को है.
परंतु उपरोक्त घटना ने हम भारतीयों को एक आशा की किरण जरूर दे दी है कि , भारत अब गरीबी बेरोजगारी, अपराध, भ्रष्टाचार पर जीत हासिल करने के बाद पुनः अपनी विश्वगुरु की ख्याति को हासिल करेगा.