गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरा…. वास्तव में विद्यार्थी जीवन में अच्छे शिक्षक का बहुत बड़ा महत्व है ऐसा ही एक किस्सा सामने आया है जम्मू कश्मीर से जहां के शिक्षक सुनील कुमार को राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड के लिए चुना गया है.
सुनील कुमार जम्मू कश्मीर के उधमपुर ज़िले में एक सरकारी टीचर हैं. यह अवार्ड उन्हें शिक्षा मंत्रालय की तरफ से दिया गया. बता दें कि सुनील टिकड़ी ज़ोन के जाखड़ इलाके में एक सरकारी स्कूल में शिक्षक है. मीडिया से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले तक सरकारी स्कूल गंभीर स्थिति में रहे हैं. आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ नई तकनीक का पिछड़ापन भी मुख्य समस्या रही है.
सुनील कुमार कहते हैं कि उन्होंने सदैव स्कूल को अपने घर और विद्यार्थियों को परिवार की तरह समझा उसी का नतीजा है कि आज उनका सरकारी विद्यालय निजी विद्यालयों की तुलना में भी अधिक विकसित है. विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देना उनका प्रथम प्रयास रहता है.
2003 में उनको प्राइमरी स्कूल शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया था. उन्होंने बताया कि 2004 में विद्यालय की बिल्डिंग पूरी तरह खराब हो गई थी.स्कूल को किराए के भवन में चलाना पड़ा ऐसे अनेक संघर्ष इस दौरान आए लेकिन पूरी मेहनत के चलते 2010 में विद्यालय को खुद की इमारत मिली.इसी क्रम में 2013-14 में स्कूल का प्रमोशन हुआ प्राइमरी स्कूल से यह स्कूल मिडिल स्कूल में तब्दील हुआ.
विद्यालय में 99% विद्यार्थी बहुत ही गरीब परिवार से थे. ऐसे में बच्चों और बच्चों के अभिभावकों को भी उन्होंने संपर्क में रखा. शिक्षा के महत्व को बताया बच्चों को नियमित स्कूल लाने के लिए भी उन्हें एक कठिन संघर्ष करना पड़ा. 2008 में जब सुनील कुमार स्थाई शिक्षक बन गए उन्होंने अपने वेतन में से भी स्कूल की सुविधाओं में योगदान दिया. वर्तमान में यह स्कूल निश्चित रूप से स्मार्ट स्कूल कहा जा सकता है आज यहां एडवांस क्लासरूम है, बिजली, पानी और शौचालय की उपयुक्त व्यवस्थाएं मौजूद है.
कोरोना काल में दे रहे डिजिटल शिक्षा
संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी के चलते थम सा गया है परंतु सुनील कुमार ने अपनी रफ्तार को कम नहीं होने दिया कोरोना काल में भी उन्होंने डिजिटल प्रणाली को अपनाया. विद्यार्थी जब स्कूल नहीं आ सकते थे तो उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप और सामुदायिक कक्षाएं चलाकर निरंतर अपना कार्य जारी रखा.