कोटा,16 अगस्त। प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण, पर्यटन के विकास और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों को आबाद करने की आज अति आवश्यकता है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि एक दशक पहले बनाये गये मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की बाघों को बसाने के मामले में लगातार उपेक्षित हो रहा है।
परंतु यह हालत अब सहन नहीं होंगे और जरूरत पड़ने पर किसी भी अभयारण्य क्षेत्र में बाघ बसाने के लिए सबसे बड़े आंदोलन-अभियान की शुरुआत कोटा जिले की दरा से ही होगी। यह चेतावनी आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के केंद्र बिंदु कोटा जिले के दरा में एकत्र हुए वन्यजीव-प्रकृति प्रेमियों ने कही। उनमें इस बात को लेकर गहरा आक्रोश था कि राज्य सरकार ही निहित स्वार्थों से ग्रस्त लॉबी के दबाव के चलते इस टाइगर रिजर्व की लगातार उपेक्षा करते हुए यहां बाघों को आबाद नहीं कर रही है। इस टाइगर रिजर्व की उपेक्षा का आलम यह है कि कुछ समय पहले तक यहां चार बाघ-बाघिन और उनके शावक थे लेकिन विभागीय स्तर पर अपनाए गए नकारात्मक रवैया के कारण इनमें से तीन बाघ-बाघिन और शावक असमय मौत के शिकार हो चुके हैं जबकि इकलौती बाघिन एमटी-4 इस टाइगर रिजर्व में एकाकी जीवन जीने को मजबूर है।
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के प्रति राज्य सरकार और उसके मातहत वन विभाग के नकारात्मक रवैया का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि हाल ही में टाइगर रिजर्व घोषित किए बूंदी जिले के रामगढ़ में रणथम्भोर नेशनल पार्क से लाकर एक बाघिन को आबाद किया है। हालांकि वन्यजीव प्रेमियों ने रामगढ़ को राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए राज्य सरकार की सराहना की लेकिन साथ ही कहा कि मुकुंदरा हिल्स की उपेक्षा अस्वीकार्य है। वन्यजीव और प्रकृति प्रेमियों के सब्र का पैमाना भर चुका है और राज्य सरकार, वन विभाग को मुकुंदरा हिल्स की उपेक्षा करना पड़ता है।
दरा में स्वाधीनता दिवस पर आयोजित ‘बाघ चौपाल’ में कहा गया कि मुकुंदरा हिल्स टाईगर रिजर्व को अगर सरकार ऐसे ही नजरंदाज करती रही तो दरा से ही बाघ बसाने केलिये सबसे बड़ा आंदोलन शुरू होगा। आज पगमार्क फाउंडेशन की ओर से आयोजित ‘बाघ चौपाल’ में मुकुंदरा हिल्स टाईगर रिजर्व क्षेत्र के विस्थापन में आ रहे गावों एवम् आसपास समेत 21 गावों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के संयोजक एवम पगमार्क फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाडा ने चौपाल को संबोधित करते हुए कहा कि मुकुंदरा हिल्स समस्त हाडोती की धरोहर व लोगों की आशा का केन्द्र है। यहां बाघ आयेंगे तो क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। मुकुंदरा का विकास जरूरी है लेकिन सरकार इसमें ग्रामीणों को भी साथ लेकर चले। सरकार को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में प्राथमिकता से क्षेत्रीय लोगो की वन विभाग में भर्ती देना चाहिए। हम लोग संस्था के अध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा कि मुकुंदरा हिल्स की उपेक्षा कर नए टाइगर रिजर्व को तवज्जो देना किसी हद तक सही नही है लेकिन जब सब लोग साथ आएंगे तो मुकुंदरा को आबाद होने से भी कोई नही रोक सकता। मुकुंदरा बाघ संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
मुकुंदरा संघर्ष सीमित के अध्यक्ष कुंदन चीता ने ग्रामीणों के वर्तमान रोजगार एवम भविष्य पर चिंता जताई और कहा कि बाघ चौपाल के सुझावों एवम मांगो को सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। दरा के सरपंच गोपाल गुर्जर ने कहा कि बाघ संरक्षण की दिशा में ग्रामीण बढ़चड़कर हिस्सा लेंगे लेकिन विभाग ग्रामीणों की भागीदारी भी सुनिश्चित करे। कार्यक्रम के संयोजक देवव्रत सिंह हाड़ा ने कहा कि अब मुकुंदरा मे बसे ग्रामीणों की आवाज उठाने के लिए अब बाघ सभा का आयोजन किया जाएगा।
कार्यक्रम में रविंद्र सिंह तोमर, जैदी, महावीर ढोबदा, सनी मलिक, अर्पित मेहरा, उर्वशी शर्मा, बीपी मीणा, राजेश रावल, दुर्गालाल मीणा, कुलदीप सिंह चंद्रावत, मनोज शर्मा, बनवारी यदुवंशी, राधेश्याम मीणा दौलत गुर्जर, राजेश समेत 21 गावों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।