राजस्थान पर्यटक स्थलों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है पिछली कड़ी में हमने आपको कुछ हिंदू मंदिरों के बारे में बताया था आइए अब जानते हैं राजस्थान के प्रमुख जैन धर्म स्थलों के बारे में (Major Jain religious places)
जैन धर्म के मंदिर अत्यंत भव्य, वैभवशाली, कलात्मक एवं विशाल होते हैं। राजस्थान में कुछ ऐसे ही जैन धर्म के विशाल भव्य मंदिर है जिनमें प्रमुख दिलवाड़ा मंदिर रणकपुर मंदिर श्री महावीरजी मंदिर नौपाड़ा पार्श्वनाथ जैन मंदिर पद्मप्रभु जी जैन मंदिर ओसिया के जैन मंदिर अजमेर की नसियां जैन मंदिर सवाई माधोपुर के जैन मंदिर आदि प्रमुख हैं।
देलवाड़ा के जैन मंदिर
राजस्थान का कश्मीर कहां जाने वाला सिरोही जिले में स्थित है यह देलवाड़ा के जैन मंदिर। दिल्ली-अहमदाबाद रेल मार्ग पर आबूरोड रेलवे स्टेशन से 30 किलोमीटर दूर आबू पर्वत खंड पर आबू पर्वत शहर में गुरु शिखर सड़क मार्ग पर प्रकृति की गोद में पहाड़ियों की चोटियों एवं घाटियों से घिरा हुआ देलवाड़ा जैन मंदिर विश्व प्रसिद्ध एवं कलात्मक दृष्टि से विश्व के आश्चर्य के रूप में देखे जा सकते हैं।
देलवाड़ा मंदिर का निर्माण 1031 ईसवी मैं गुजरात के राजा भीमदेव के सेनापति विमल शाह ने 19 करोड़ 65 लाख रुपए में 1500 कारीगर और 1200 मजदूरों से 14 वर्ष के अथक एवं अनवरत कार्य के बाद संपन्न हुआ।
मंदिर का रंग मंडप सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र है जिसमें 48 कलात्मक स्तंभ है। प्रत्येक दो स्तंभ अलंकृत 2 तोरणो से जुड़े हुए हैं। मंडप के बीच कलात्मक एवं बारीक नक्काशी से झुमके बने हुए हैं। सोलह रंग मंडप के आसपास की छतों पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई है। विभिन्न घटनाओं को मूर्तियों एवं शिल्प से कुरेदा गया है।
मंदिर में शिल्प की इतनी बारीक कलाकारी है कि प्रत्येक मूर्ति की भाव भंगिमा, अनुभूति एवं विषय वस्तु का चित्रण आदित्य प्रकाश से प्रदर्शित किया गया है। भौंहें, नाखूनों की बनावट, होठों का प्रारूप, कमर का स्वरूप, स्तनों का विन्यास, केशों का प्रतिरूप और विषय वस्तु का प्राकट्य भाव नि:संदेह पर्यटक को स्वप्नलोक में उपस्थित कर देता है। लक्ष्मी जी की मूर्ति हाथियों का युद्ध समुद्र मंथन, वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य की विभिन्न मुद्राओं में अंकन इस मंदिर के चार चांद लगा रहे हैं।
यहां पर जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का भी जैन मंदिर है जिसका निर्माण गुजरात के राजा वीर धवन के मंत्री वास्तुपाल और तेजपाल दो भाइयों में 12 करोड़ 53 लाख रुपए की कीमत से कराया। यह मंदिर 1500 कारीगरों की सहायता से 7 साल में पूर्ण हुआ।
इस मंदिर में दीवारों दरवाजों, मंडपों, स्तंभों, तोरणो, छत के गुम्मदों पर कमल के पुष्प देवी देवताओं की मूर्तियां विविध धार्मिक घटनाओं का चित्रण उत्कृष्ट कोटि के संगमरमर के पत्थरों पर तराशी गई बारिश नक्काशी द्वारा बनाया गया है। यह नक्काशी देखने में इतनी सजींव लगती हैं कि पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेती है।
108 मण वजनी ऋषभदेव की मूर्ति
देलवाड़ा परिसर में ऋषभदेव, पार्श्वनाथ और भगवान महावीर के 3 मंदिर और अलग से हैं। तीर्थंकर ऋषभदेव की प्रतिमा पीतल की 108 मण वजनी मूर्ति है।
नाकोड़ा – पार्श्वनाथ मंदिर (बालोतरा खींचन)
जोधपुर से बाड़मेर जाने वाले रेल मार्ग पर बालोतरा जंक्शन से 10 किलोमीटर दूर नाकोडा पार्श्वनाथ मंदिर नाकोडा भेरुजी के चमत्कारों से युक्त श्रद्धालु भक्तों का मुख्य केंद्र है। यहां पर मुख्य मंदिर मैं भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा 23 फीट ऊंची तथा काले पत्थर से बनी हुई है।नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिर में देव नाकोड़ा भैरव की स्थापना की गई है जो जागृत देवता के रूप में जाने जाते हैं।
श्री महावीरजी
दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर हिंडौन सिटी एवं गंगापुर सिटी स्टेशनों के बीच गंभीर नदी के किनारे भगवान श्री महावीर का मंदिर बना हुआ है।
यहां मंदिर करौली जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है तथा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 से महुआ होकर हिंडौन के रास्ते श्री महावीर जी तक पहुंचा जा सकता है। यात्रियों की सुविधा के लिए यहां धर्मशालाएं अन्नपूर्णा भोजनालय तथा रेलवे स्टेशन से लाने ले जाने हेतु बस यहां स्थित ट्रस्ट द्वारा संचालित की जाती हैं। ट्रस्ट द्वारा यहां ग्रन्थालय, चिकित्सालय, महिला महाविद्यालय, विद्यालय और कई अन्य मंदिर बनाए गए हैं।
श्री महावीरजी का मेला
यहां चैत्र नवरात्रि की समाप्ति पर केला देवी के मेले से पूर्व में 1 सप्ताह का महावीर जी का मेला लगता है। जिसमें हजारों संख्या में जैन धर्म के भक्त देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं।इस मेले में भगवान महावीर की मूर्ति को रथ में रखकर स्थानीय और क्षेत्रीय मीणा, गुर्जर जाति के लोग एवं जैन लोग मिलकर खींचते हैं।
गंभीर नदी के दूसरे किनारे पर नया भगवान पार्श्वनाथ का एक भव्य मंदिर बनाया गया है जो कलात्मक दृष्टि से आकर्षण का केंद्र है। इसी प्रकार शहर में एक कांच का भगवान ऋषभदेव का मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है।
रणकपुर के जैन मंदिर
जैन धर्मावलंबियों की आस्था का केंद्र बिंदु एवं विशाल ताकि अजीब मिसाल है यह मंदिर।फालना रेलवे स्टेशन से 30 किलोमीटर दूर नगर शैली में सात थोड़ा और सेवाड़ी पत्थरों से निर्मित यह मंदिर एक विशाल चबूतरे पर 1444 खंभों पर टिका हुआ है। जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।