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Major folk Devis (Goddess) Temples of Rajasthan, राजस्थान की प्रमुख लोक देवियां

राजस्थान की प्रमुख लोक देवियां Major folk Devis Temples of Rajasthan

shivam by shivam
June 5, 2021
in अन्य
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Tripura Sundri Temple, Banswara

Tripura Sundri Temple, Banswara

Temples of Rajasthan : राजस्थान (Rajasthan )के लोगों में शक्ति की प्रतीक के रूप में लोक देवियों के प्रति अटूट श्रद्धा,विश्वास और आस्था है। साधारण परिवार की कन्याओं ने लोक कल्याणकारी कार्य किए और अलौकिक चमत्कारों से जनसाधारण के दुखों को दूर किया इसी से जन सामान्य ने इन्हें लोक देवियों के पद पर प्रतिष्ठित किया।आज भी इन लोक देवियों के मंदिरों में विशाल मेले लगते हैं जिनमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर इन्हें शीश नवाते हैं।

राजस्थान योद्धाओं की भूमि है और यहां शक्ति पूजा की प्राचीन परंपरा रही है यहां मातृ देवी को समर्पित अनेक मंदिर है जहां लोग हजारों मील चलकर अपनी कुल देवी के दर्शन करने को आते हैं। जनमानस की आस्था का केंद्र लोक देवियां राज्य के हर क्षेत्र में विराजमान है।

आइए आपको बताते हैं राजस्थान की कुछ प्रमुख लोक देवियों के बारे में (Major folk Devis (Goddess) Temples of Rajasthan)

1.करणी माता, देशनोक (बीकानेर) Karni Mata Temple Bikaner

बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी करणी माता (Karni Mata) चूहों वाली देवी के नाम से विख्यात है। इनका जन्म सूआप गांव में चारण जाति के श्री मेंहा जी के घर हुआ था।देशनोक स्थित इन के मंदिर में बड़ी संख्या में चूहे हैं जो ‘करणी जी के काबे’ कहलाते हैं।चारण लोग इन चूहों को अपना पूर्वज मानते हैं यहां के सफेद चूहे के दर्शन करणी जी के दर्शन माने जाते हैं। करणी जी का मंदिर मठ कहलाता है। ऐसी मान्यता है कि करणी जी ने देशनोक कस्बा बसाया था।

Karni Mata Temple
Karni Mata Temple

करणी माता की इष्ट देवी तेमडाजी थी। करणी जी के मंदिर के पास तेमड़ा राय देवी का भी मंदिर है।कहां जाता है कि करणी देवी का एक रूप सफेद चील भी हैं। करणी माता के मंदिर से कुछ दूर में नेहडी नामक दर्शनीय स्थल है जहां कर्णी देवी सर्वप्रथम रही थी।यहां स्थित खेजड़ी के एक पेड़ पर माता डोरी बांधकर दही बिलोया करती थी। इस पेड़ की छाल नाखून से उतारकर भक्तगण अपने साथ ले जाते हैं इसे चांदी के समान शुभ माना जाता है।

2.जीण माता,सीकर (Jeenmata Temple)

चौहान वंश की आराध्य देवी माने जाने वाली जीण माता (Jeenmata) का मंदिर सीकर शहर से नजदीक रेवासा गांव की आडावाला पहाड़ियों के मध्य स्थित है। जीण माता के मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के शासनकाल में राजा हट्टड़ द्वारा करवाया गया था जिसमें जीण माता (Jeen mata) की अष्टभुजी प्रतिमा है। जीण माता ने आजीवन ब्रह्मचारिणी रहकर घोर तपस्या करके कई शक्तियां प्राप्त की और देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई। जीण माता तांत्रिक शक्ति पीठ कहलाता है।

jeen mata temple
jeen mata temple

जीण माता धंध राय की पुत्री और हर्ष की बहन थी। लोक प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जीण और हर्ष भाई बहन थे।हर्ष का मंदिर भी पास में हर्ष की पहाड़ियों पर स्थित है। पहाड़ के समतल स्थान पर जोगी तालाब भी स्थित है।जीण माता के मंदिर में चैत्र और आश्विन माह की शुक्ल नवमी को विशाल मेले भरते हैं। जीण माता का गीत राजस्थानी लोक साहित्य में सबसे लंबा गीत हैं।

3.कैला देवी,करौली (Kaila Devi Temple)

कैला देवी,करौली (Kaila Devi Temple)
कैला देवी,करौली (Kaila Devi Temple)

राजस्थान के करौली में त्रिकूट पर्वत की घाटी में केला देवी का मंदिर स्थित है। केला देवी करौली के यदुवंशी कुलदेवी मानी जाती हैं। ऐसे लोग मान्यता है कि कंस ने अपनी बहन देवकी कि जिस नवजात कन्या को शीला पर पटक कर मारना चाहा था वही कन्या देवी योग से करौली के त्रिकूट पर्वत पर केला देवी के रूप में अवतरित हुई। यहां हर वर्ष चैत्र नवरात्र में चैत्र शुक्ल अष्टमी को विशाल लखी मेला भरता है। केला देवी के भक्त इनकी आराधना करने में लंगुरिया गीत गाते हैं।

4.शिला देवी,आमेर Shila Mata Mandir

शिला देवी,आमेर Shila Mata Mandir
शिला देवी,आमेर Shila Mata Mandir

राजस्थान के जयपुर में आमेर के राज महलों में अन्नपूर्णा देवी के नाम से विख्यात शीला देवी का मंदिर स्थित है। शीला देवी जयपुर के कछवाहा राजवंश की आराध्य देवी मानी जाती हैं। शीला देवी के रूप में प्रतिष्ठित दुर्गा की अष्टभुजी काले पत्थर की मूर्ति हैं। इस मूर्ति को सोलवीं सदी के अंत में आमेर के महाराजा मानसिंह-प्रथम पूर्वी बंगाल के राजा केदार से लाए थे। राजा मानसिंह ने शीला देवी की मूर्ति को राज महल की रक्षा करने वाली देवी के रूप में स्थापित की थी। यहां शिला देवी महिषासुर मर्दिनी के रूप में विराजमान है। शीला देवी के बाई और अष्ट धातु की हिंगलाज माता की स्थानक मूर्ति भी प्रतिष्ठित हैं।

5.शीतला माता,चाकसू (जयपुर) (Sheetala Mata Temple Chaksu Jaipur)

Sheetala Mata Temple Chaksu
Sheetala Mata Temple Chaksu

शीतला माता का मंदिर जयपुर के चाकसू की शील डूंगरी पर स्थित है।इस मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराजा श्री माधव सिंह जी ने करवाया था। होली के पश्चात चैत्र कृष्णा अष्टमी जिसे शीतला अष्टमी भी कहा जाता है को इनकी वार्षिक पूजा होती है और चाकसू के मंदिर में विशाल मेला भरता है। इस दिन लोग बास्योडा मनाते हैं अर्थात रात का बनाया ठंडा भोजन खाते हैं। शीतला माता को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी भी कहा जाता है।इनकी सवारी गधा है तथा बांझ स्त्रियां संतान प्राप्ति के लिए इनकी पूजा करती हैं। खेजड़ी के वृक्ष को शीतला मानकर पूजा की जाती है। शीतला देवी की पूजा खंडित प्रतिमा के रूप में की जाती हैं तथा इसके पुजारी कुम्हार जाति के होते हैं।

6. त्रिपुर सुंदरी,बांसवाड़ा (Tripura Sundri Temple, Banswara)

Tripura Sundri Temple, Banswara
Tripura Sundri Temple, Banswara

बांसवाड़ा शहर से 14 किलोमीटर दूर स्थित तलवाड़ा ग्राम से 5 किलोमीटर दूर उमराई गांव के पास मा त्रिपुरा सुंदरी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि देवी मां की पीठ की स्थापना तीसरी सदी के पहले ही हो चुकी थी। मां त्रिपुर सुंदरी गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की ईष्ट देवी थी। इस मंदिर का जीर्णोद्धार बाहर वी शताब्दी के प्रारंभ में चांदा भाई ने करवाया था। मंदिर के गर्भ गृह में काली मां की अट्ठारह भुजाओं वाली काले पत्थर की आकर्षक प्रतिमा विराजमान है। नवरात्रों में यहां एक बहुत बड़ा मेला भरता है।

7. दधिमती माता,नागौर (Dadhimati mata Mandir Nagaur)

Dadhimati mata Mandir Nagaur
Dadhimati mata Mandir Nagaur

राजस्थान के नागौर जिले में रोल गांव के पास गोट मांगलोद नामक दो छोटे-छोटे गांव हैं इन दोनों गांव की सीमा पर मां दधिमती का प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर स्थित है. ऐसा बताया जाता है कि माता के मंदिर में आधार स्तंभ है जिसके नीचे से धागा आर पार निकाला जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि किसी समय माता की प्रतिमा बहुत तेज आवाज के साथ धरती से बाहर आने लगी इस आवाज को सुनकर आसपास के गांव वाले डर कर भाग गए इसके बाद माता का कपाल ही बाहर निकल पाया और आधा शरीर धरती में ही रह गया इसलिए क्षेत्र का नाम कपाल पीठ है. दधिमती माता दाधीच ब्राह्मणों की कुलदेवी मानी जाती हैं नवरात्रों में यहां विशाल मेला लगता है.

8. सीता माता, प्रतापगढ़ (SEETA MATA TEMPLE)

sita mata mandir pratapgarhप्रतापगढ़ जिले में सीताबाड़ी गांव से 2 किलोमीटर दूर सीतामाता वन्य जीव अभ्यारण के उपवन में सीता माता का प्राचीन मंदिर स्थित है ।मंदिर तक पहुंचने के लिए जाखम नदी को पार करना पड़ता है।यह इलाका जनजाति लोगों से भरा हुआ है। सीता माता मंदिर में हर वर्ष जयेष्ठ अमावस्या को भव्य मेला लगता है जो कृष्णा चतुर्दशी से शुक्ल प्रतिपदा तक चलता है।इस मेले में आसपास के क्षेत्र के आदिवासी लोग धार्मिक आस्थाओं के प्रति श्रद्धा प्रकट करने आते हैं मान्यता है की माता सीता ने अपने अंतिम दिन यही बिताए थे और लव कुश दोनों को यही जन्म दिया था यहां स्थित लव कुश कुडों में से एक का पानी सदैव गर्म और एक का पानी सदैव ठंडा रहता है। यहां पास ही में वाल्मीकि गुफा और वाल्मीकि आश्रम भी हैं।

9. सुंधा माता, जालौर (Sundha Mata Temple)

Sundha Mata Temple
Sundha Mata Temple

जालौर जिले के जसवंतगढ़ कस्बे के पास दांतलवास गांव के सुंधा पर्वत पर सुंधा माता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। यह एक प्राचीन तांत्रिक शक्ति पीठ हैं मंदिर में जालौर के चौहान शासकों का एक शिलालेख भी हैं। सुंधा माता के केवल सिर की पूजा होती है मूर्ति में धड़ नहीं होने से इन्हें अदरेषवरी माता भी कहते हैं। यहां वैशाख और भाद्रपद माह में शुक्ला त्रयोदशी से पूर्णिमा तक विशाल मेला भरता है।

10. विरातरा माता,बाड़मेर (Viratra Vankal Mata Temple)

Viratra Vankal Mata Temple Rajasthan
Viratra Vankal Mata Temple Rajasthan

बाड़मेर जिले के चौहटन से 10 किलोमीटर दूर लाख और मुद्गल वृक्षों के बीच रमणीक पहाड़ी क्षेत्र के बीच में माता विरात्रा का भव्य मंदिर हैं।यहां चैत्र भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मेले भरते हैं।माता विरात्रा भोपो की कुलदेवी हैं।यहां मां जगदंबा की आकर्षक प्रतिमा विराजमान है।मेले में नारियल की ज्योत जलाई जाती है और बकरों की बलि दी जाती हैं। मंदिर के एक और बालू का रेतीला टीला और दूसरी और पहाड़ है जो यहां की विशेषता है और क्षेत्र को आकर्षक बनाता है।

Other Temples of Rajasthan

राजस्थान की अन्य प्रसिद्ध लोग देवियों में जमवाय माता,आईजी माता,रानी सती, आवड़ माता,नागणेची माता,अंबिका मात, सुगाली माता,नकटी माता, ब्राह्मणी माता, जिलानी माता,सकराई माता,गायत्री माता आदि प्रसिद्ध है।

 

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