विश्व के प्रमुख जीवावशेष पार्कों में अपना गौरवशाली स्थान रखने वाला राष्ट्रीय मरू उद्यान वन्य जीव अभ्यारण जैसलमेर (Desert National Park Jaisalmer) भूगोलवेत्ताओं के लिए अनुपम धरोहर और पर्यटकों के लिए प्रागैतिहासिक वनस्पति जीव जंतुओं पूरा-जलवायु तथा पृथ्वी की हलचलों और भू- आकारों को तथा जलवायु परिवर्तनों को समझने के लिए मरुस्थलीय वन्य जीव का समीप से अवलोकन करने का एक अनूठा स्थल है।
स्थिति मरू उद्यान जैसलमेर (Desert National Park)
यह मरू उद्यान जैसलमेर शहर से 45 किलोमीटर दक्षिण- पश्चिम में सड़क किनारे स्थित है। यह मरू उद्यान जैसलमेर-बाड़मेर सड़क के किनारे बसा हुआ है। यहां मरू उद्यान आकल(Akal) गांव के पास स्थित कास्ट जीवावशेष पार्क से (जैसलमेर से 17 किलोमीटर दूर) से जुड़ा हुआ है।
क्षेत्रफल
पश्चिमी राजस्थान के थार मरुस्थल में जैसलमेर-बाड़मेर जिलों के लगभग 3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह मरुस्थल पार्क मरुस्थली वनस्पति जीव जंतुओं की प्रजातियों एवं वन्यजीवों का आदर्श अभ्यारण है। यह मरू उद्यान राजस्थान का ही नहीं वरन भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
विशेषता
इस अभ्यारण में मरुस्थलीय भू आकृतियां शुष्क वातावरण में पैदा होने वाले पेड़ जैसे बेर, खेर, आक, फोग, खेजड़ी, थोर, घास, बबूल आदि पाए जाते हैं।
वन्य प्राणी
वन्य प्राणियों में यहां भेड़िया, सियार, रेगिस्तानी बिल्ली, लोमड़ी, पाटागोह, नेवला, गुहेरा, गिलहरी, खरगोश, सेंड फिश, फुंसा, शाहीभर, डिमोजल क्रेन, तीतर, गोरैया, स्पेन विभिन्न प्रकार के छोटे बड़े सांप, बिच्छू, ब्लैकबक(काला हिरण), चिंकारा, नीलगाय, रोज, हिरन आदि के झुंड के झुंड पाए जाते हैं।
यह वन्यजीव विश्नोई जाति के धार्मिक भाव से सुरक्षित एवं संरक्षित हैं। विश्नोई लोग इन जीवो पर बंदूक उठाने वाले को उचित पाठ पढ़ाते हैं। यहां कई प्रकार के पक्षी भी पाए जाते हैं मयूर सेंड गाउन तीतर बटेर गुरैया मक्खी मार आदि अद्भुत पक्षी यहां की शोभा बढ़ाते हैं।
राज्य पक्षी
इस अभ्यारण का प्रमुख आकर्षण ‘गोडावण’ (great Indian Bustard) है जोकि राजस्थान का राज्य पक्षी है। इस पक्षी की खास बात यह है कि यह 45 किलोग्राम वजनी तथा इसकी ऊंचाई 45 सेंटीमीटर तक होती हैं।यह पक्षी कम उड़ता है तथा घास के कीड़े, बेरी, बीज, मकोड़े, सांप छिपकली आदि खाता है।यह पक्षी घास में रहना पसंद करता है।
गोडावण पक्षी सोन चिरैया, सोहन चिड़िया तथा शर्मिला पक्षी के उपनामों से प्रसिद्ध है। वर्तमान में गोडावण पक्षी का अस्तित्व खतरे में है इनकी संख्या बहुत कम बची हैं। अतः यह प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है। शिकारियों एवं मांस भक्षको ने इसे बहुत मारा है फलत: इनकी संख्या अब मात्र एक हजार के आसपास ही रह गई हैं।
होबारा बस्टर्ड भी इस अभ्यारण का दूसरा बड़ा आकर्षण है। राष्ट्रीय मरू उद्यान के पड़ोस में विश्व का प्रसिद्ध फोसिल पार्क पाया जाता है। इस पार्क में 180 मिलियन वर्ष पूर्व जुरासिक, क्रीटेशियस, कल्प के बाद यहां पर उपलब्ध घने जंगलों के पेड़ों के तने जो पृथ्वी की हलचलों के कारण पृथ्वी के अंदर गर्मी एवं दबाव के फल स्वरुप पत्थर के स्वरूप में आ गए तथा कालांतर में पुनः पृथ्वी की हलचल से सतह पर पहुंच गए हैं उनको यहां लोहे के जाल के पिंजरों से संरक्षित एवं सुरक्षित रख रखा है।भूतत्व के रहस्यमय पन्नों एवं भूगोल के भौम्याकारो के निर्माण की विवेचना करने में सहायक सिद्ध होते हैं। यहां सागरीय जीवावशेष भी पाए जाते हैं जो क्वार्टनरी पीरियड से पूर्व तृतीय महाकल्प के प्रारंभ में सागर के विस्तार के समय में पनपे थे।
भ्रमण का समय
इस मरु अभ्यारण में भ्रमण का सर्वश्रेष्ठ शीतकाल का है।
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