मुंशी प्रेमचंद का नाम आते ही स्कूल में पढ़ाई जाने वाली हिंदी कहानियां याद आने लगती है अब जल्दी ही उनकी कहानियों पर आधारित फिल्म जिसका नाम बैकुंठ (Film Baikunth) है. आपको बता दें कि फिल्म ‘बैकुंठ’ के प्रोड्यूसर रवि कुमार (Ravi Kumar )और विजय ठाकुर (Vijay Thakur) है जबकि फिल्म का निर्देशन और लेखन विश्व भानु कर रहे हैं. फिल्म में जाने-माने कैमरा मेन आशीष पांडे व संकलन साई राज ने बहुत लगन से अपना काम किया है ,फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में वन्या,संगम शुक्ला,विश्व भानु,विजय ठाकुर आदि नज़र आएंगे. उल्लेखनीय है कि इस फिल्म में गांव की ज़मीनी सच्चाइयों को दर्शाने के लिए गांव से जुड़े कलाकारों को ही तरजीह दी गई है.
पिछले कुछ वर्षों में पाया गया है कि भारत में हिंदी भाषा ही नहीं बल्कि तमाम भारतीय भाषाओं में भी उम्दा साहित्यिक कृतियों पर फिल्में बनाने का चलन नहीं है. यदा-कदा ही साहित्यिक कृतियों पर फिल्में बनती हैं. ऐसे में प्रेमचंद की साहित्यिक कृति पर फिल्म बनाने को एक साहसिक कदम ही ठहराया जा सकता है.प्रेमचंद द्वारा लिखी गई तमाम कहानियों में उनकी बेहद मशहूर कहानी ‘कफ़न’ का एक अलहदा स्थान है. गांवों में व्याप्त संघर्ष की वास्तविकताओं को दर्शाती ‘कफ़न’ को एक कालजयी कहानी का दर्जा प्राप्त है. प्रेमचंद की इसी उम्दा कृति पर अब फिल्म बनाने का सराहनीय प्रयास हुआ है.
निर्माता विजय ठाकुर (Vijay Thakur) ने ‘बैकुंठ’ के निर्माण को लेकर की गई जद्दोजहद को लेकर कहा, “इस फिल्म की टीम के ज्यादातर सदस्यों का संबंध रंगमंच से हैं. बचपन से हम नाटक करते आ रहे है. हमारे समाज में साहित्यिक कृतियों पर न के बराबर फिल्में बनती रही हैं. ऐसे में हमने इस फिल्म के लिए पैसे जुटाने से लेकर शूटिंग करने तक बहुत मेहनत की है और तमाम परेशानियों का सामना करते हुए प्रेमचंद की बेहतरीन कहानियों में से एक ‘कफ़न’ पर फिल्म बनाने के सपने को साकर किया.”
विजय ठाकुर इस फ़िल्म को हक़ीक़त का जामा पहनाने का बड़ा श्रेय रवि कुमार को देते हैं. वे कहते हैं, “रवि कुमार एक यंग आंत्रप्योनर हैं जिन्होंने इस फिल्म को बनाने में हमें बहुत सहयोग किया. वे ट्रैवल और फ़िनटेक जैसी कंपनियां सफलतापूर्वक चला रहे हैं. किसी कारोबारी का इस तरह की साहित्यिक फिल्म बनाने में मदद करने की कल्पना करना ज़रा मुश्क़िल है. ऐसे में ‘बैकुंठ’ के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देने के लिए मैं हमेशा से ही रवि कुमार का आभारी रहूंगा.”
ग़ौरतलब है कि प्रेमचंद की मूल कहानी की आत्मा से छेड़छाड़ किये बग़ैर फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे आज़ादी के 73 साल बीत जाने के बाद आज भी दलितों की सामाजिक और आर्थिक हालात पहले से बेहतर नहीं हैं और उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.
निर्माता विजय ठाकुर कहते हैं, “अब तक उत्तर भारत की किसी भी कालजयी साहित्यिक कृति और भिखारी ठाकुर के गानों से प्रेरित कोई सिनेमा नहीं बना है. ऐसे में ‘बैकुंठ’ बनाने का हमारा प्रयास बेहद अनूठा है और हमें पूरी उम्मीद है कि दर्शकों को यह फिल्म बेहद पसंद आएगी.यह फ़िल्म २९ मार्च को Hungama play,Airtel xtream,VI movies and TV पर लाइव हो चुकी है आने वाले दिनों में कुछ और भी ओ.टी.टी प्लेटफार्म पर बैकुंठ देखने को मिलेगी.