✨ आरंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
अयोध्या की पवित्र भूमि पर 5 सितंबर को जन्मी बैदेही प्रियंका यादव न केवल एक प्रतिभाशाली लेखिका हैं, बल्कि समाज की संवेदनाओं को शब्दों में पिरोने वाली एक विचारशील चिंतक भी हैं।
उनका जन्म एक संस्कारवान और सेवा-भावी परिवार में हुआ — पिता श्री राजकुमार यादव (उर्फ़ राजा यादव) एक प्रसिद्ध समाजसेवी हैं, जबकि माता श्रीमती रेखा यादव एक आदर्श गृहिणी हैं, जिनकी सरलता और निष्ठा ने बैदेही के व्यक्तित्व को गहराई दी।
अयोध्या की आध्यात्मिक ऊर्जा और पारिवारिक मूल्यों के संगम ने उनके भीतर एक ऐसी लेखनी को जन्म दिया, जो संवेदना, सच्चाई और समाज के प्रति जिम्मेदारी से परिपूर्ण है।
✍️ साहित्यिक यात्रा: बैदेही प्रियंका यादव की रचनाओं का उदय
बैदेही प्रियंका यादव की साहित्यिक यात्रा की शुरुआत उनकी पहली पुस्तक “इश्क सियापा” से हुई, जिसने युवाओं के बीच गहरी छाप छोड़ी।
यह पुस्तक आज के दौर के रिश्तों की सच्चाई को उजागर करती है — जहाँ आकर्षण को प्रेम समझ लिया जाता है और सच्चे रिश्ते मुखौटे के पीछे छिप जाते हैं।
“इश्क सियापा” ने यह सवाल उठाया कि क्या प्रेम आज केवल एक एहसास है या सामाजिक दिखावे का एक हिस्सा बन गया है।
इस रचना को न केवल युवा पाठकों ने, बल्कि साहित्य समीक्षकों ने भी अत्यधिक सराहा।
अपनी दूसरी और चर्चित पुस्तक “Rerising Ayodhya” के माध्यम से बैदेही प्रियंका यादव ने साहित्यिक जगत में नई पहचान बनाई।
यह कृति अयोध्या के ऐतिहासिक पुनर्जागरण, श्रीराम मंदिर निर्माण और नारी-शक्ति के योगदान को समर्पित है।
इस पुस्तक में बैदेही ने यह दर्शाया कि कैसे इतिहास केवल तिथियों का संग्रह नहीं, बल्कि भावनाओं, संघर्षों और आस्थाओं का दस्तावेज़ होता है।
“Rerising Ayodhya” न केवल एक साहित्यिक कृति है, बल्कि आस्था, संस्कृति और नारीत्व की भावनात्मक यात्रा है।
🪶 बैदेही प्रियंका यादव की लेखन शैली और दृष्टिकोण
बैदेही प्रियंका यादव की लेखन शैली में भावनाओं की गहराई और विचारों की स्पष्टता सहज रूप से दिखाई देती है।
वे अपने शब्दों के माध्यम से समाज के उन पहलुओं को उजागर करती हैं जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।
उनके लेखन में प्रेम का यथार्थ, संस्कृति का सम्मान और स्त्रीत्व की गरिमा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
उनकी कहानियाँ और विचार पाठकों को न केवल सोचने पर मजबूर करते हैं, बल्कि भीतर से झकझोरते हैं।
🌼 प्रेरणा: परिवार और संस्कृति से मिले संस्कार
बैदेही प्रियंका यादव अपने पिता श्री राजकुमार यादव (राजा यादव) की समाजसेवा और माता श्रीमती रेखा यादव की सरलता से गहराई से प्रेरित हैं।
उनके अनुसार —
“लेखन मेरे लिए केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समाज के मौन हिस्सों को आवाज़ देने का माध्यम है।”
उनके भीतर का लेखक समाज के हर उस व्यक्ति की पीड़ा, उम्मीद और संघर्ष को शब्द देता है, जो अक्सर अनकहा रह जाता है।
📚 प्रमुख कृतियाँ
-
इश्क सियापा (Ishq Siyapa) – आधुनिक रिश्तों की सच्चाई पर आधारित उपन्यास, जिसने युवाओं के बीच नई सोच जगाई।
-
Rerising Ayodhya – अयोध्या की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा पर आधारित कृति, जो आस्था और नारी शक्ति का संगम है।
🌺 भविष्य की दिशा और साहित्यिक संकल्प
बैदेही प्रियंका यादव आने वाले समय में महिला सशक्तिकरण, भारतीय संस्कृति और बदलते सामाजिक मूल्यों पर केंद्रित लेखन जारी रखेंगी।
उनका लक्ष्य है कि भारतीय परंपराओं की आत्मा को आधुनिक युग की सोच से जोड़कर विश्व मंच पर भारतीय साहित्य का नया अध्याय लिखा जाए।
लेखिका: बैदेही प्रियंका यादव
स्थान: अयोध्या, उत्तर प्रदेश
पेशा: लेखिका, समाज-चिंतक
प्रेरणा: भारतीय संस्कृति, नारी शक्ति और मानवीय रिश्तों की सच्चाई