पिछले कुछ वर्षों में नाटकों में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है परंतु अमित दीक्षित ( Amit Dixit ) जैसे कला की साधना में रत लोगों ने भारतीय संस्कृति, सभ्यता, जीवंत और लोक कलाओं, घटनाओं और भारतीय साहित्य को निरंतर महत्वपूर्ण स्थान, निरंतरता और स्थिरता देकर और अधिक मूल्यवान बनाया है।
अमित दीक्षित ( Amit Dixit ) रंगमंच व मीडिया के क्षेत्र में प्रचलित वो नाम है, जिसने अभिनय, गायन, नृत्य, लेखक व निर्देशक के रूप में अपनी अथक साधना से कला को खुद में जिया है। हर मुश्किल को पार कर, समाज से द्वंदकर अपनी कला को निखारा व संवारा है। दिन रात अपनी कड़ी मेहनत से जिस कला को उन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण किया, उसी कला की जीवंतता को बरकरार रखते हुए नए कलाकारों को “सत्य समर्पण” के रूप में एक बड़ा मंच भी दिया।
नए कलाकारों के प्रेरणाश्रोत अमित दीक्षित ( Amit Dixit ) आज विलुप्त हो रही महान कला “नौटंकी” के संरक्षक भी हैं। इन सभी उपलब्धियों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च कला सम्मान संगीत नाटक अकादमी से उन्हें नवाज़ गया। इसके अतिरिक्त उन्हें अनेकानेक विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित व पुरस्कृत किया गया। एक मध्यम वर्गीय व्यवसायी परिवार में जन्मे अमित को वास्तव में कला विरासत में नहीं मिली थी, यह केवल दृढ़ता, कड़ी मेहनत और प्रामाणिकता के कारण ही वह शीर्ष कलाकारों में शामिल हुए।
लखनऊ के रंगमंच में अमित दीक्षित ने कई कलाओं में योगदान दिया है। वो नाटक व गीत लिखते हैं, उन गीतों की धुन बनाते है, उन धुनों को स्वयं गाते और नए कलाकारों को सिखाते, गवाते व नृत्य भी कराते हैं, इन सम्पूर्ण प्रस्तुतियों का निर्देशन करते हैं और इन प्रस्तुतियों में अभिनय भी करते हैं। उनके लेखन, गीत और संगीत जनता के लिए उपलब्ध कई ऑडियो कैसेट में रिकॉर्ड किए गए हैं। मीडिया में भी उन्होंने अपना मुकाम हासिल किया है, फ़िल्म, सीरिअल्स और शार्ट फिल्मों में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। अमित की कलात्मक महिमा केवल लखनऊ के रंगमंच तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दो वर्षों तक लगातार ताज महोत्सव का उदघाटन कार्यक्रम, दीपोत्सव, कुम्भ महोत्सव, मगहर महोत्सव, राजस्थान महोत्सव, पटना महोत्सव, जवाहर कला केंद्र जयपुर, भारत रंग महोत्सव, बनारस नौटंकी महोत्सव और कथक समारोह जैसे कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कला उत्सवों और कार्यक्रमों में भी उनकी ख्याति फैली हुई है। उन्हें नौटंकी व रंगमंच का प्रशिक्षण देने मुम्बई, दिल्ली, राजस्थान, कोलकाता, बिहार और अनेकानेक प्रदेशों व शहरों में आमंत्रित किया जाता रहा है।
कोरोना काल में भी ये शांत नहीं बैठे बल्कि अपनी ऑनलाइन प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी कला को जीवंतता दी और युवाओं को मंच दिया। इसके अलावा अमित दीक्षित दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्र, मासिक पत्रिका के स्वामी व संपादक भी है। जो आज की तारीख में प्रचलित सामाजिक बुराइयों पर जागरूकता फैलाने और कार्यान्वयन योग्य समाधान देने की उम्मीद देती है। एक अत्यंत प्रतिभाशाली और समर्पित कलाकार के रूप में व्यापक पहचान हासिल करने के बाद, अमित दीक्षित को दिल्ली और उत्तर प्रदेश दूरदर्शन दोनों के बोले यूपी कार्यक्रम में अतिथि कलाकार के रूप में आमंत्रित किया गया था।
एक मान्यता प्राप्त भारतीय नाट्य व लोक कलाकार और आधुनिक कलाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाले कलाकार के रूप में अमित दीक्षित का एक मुख्य उद्देश्य नाटक और कहानी कहने की भावना को जीवित रखना है। उसी पर एक अनौपचारिक चर्चा में, उन्होंने कहा, “युवा तेजी से नाटकों और स्थानीय नाटकों से दूर हो रहे हैं। मनोरंजन के डिजिटल रूपों की यहां बहुत बड़ी भूमिका है। मेरा उद्देश्य युवा पीढ़ी को साहित्य और अपनी संस्कृति से रूबरू करा सम्पूर्ण विश्व में भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का प्रभाव बनाना है। युवाओं को फिर से नाट्य – नौटंकी के प्रति आकर्षित कर भारत की संस्कृति का झंडा सम्पूर्ण विश्व में लहराकर भारत को विश्वगुरु बनाना है।”
Amit Dixit का कहना है कि उनकी मां दुनिया की सबसे प्यारी मां हैं, वो उनके लिए निरंतर प्रेरणा स्रोत रही हैं।उनकी मां उनके सभी प्रयासों और विचारों में बचपन से ही हमेशा सहायक और विरोधियों के लिए ढाल की तरह रही हैं। उनको इस बात का बहुत दुख है कि हमेशा उनकी सफलता को दिल से लगाने वाले उनके पिता आज उनकी इस सफलता को देखने के लिए इस दुनिया में नहीं हैं, पर वो कहते हैं कि उनके पिता आज भी उनके अंदर ज़िंदा हैं।
अमित कई सरकारी और गैर सरकारी संगठनों में भी बड़े पदों पर सक्रियता से जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त नाट्य संस्था दर्पण के कलाकार व पदाधिकारी हैं। विभिन्न लोकप्रिय और मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में 500 से अधिक प्रस्तुतियाँ और प्रदर्शन दिए हैं जो भारत के साहित्य, विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देते हैं। आकाशवाणी व दूरदर्शन की अनगिनत प्रस्तुतियाँ और वहां के मान्यता प्राप्त कलाकार अमित दीक्षित की स्वरचित प्रमुख प्रस्तुतियों में अवधपुरी से जनकपुरी, ये हुई बात, प्रतिनिधि पुरुष, दीन जन प्यारे, मैं राम आप परशुराम, पंचवटी, हममें है राष्ट्र, योगमृत, वाह भी वाह, स्मार्ट लखनऊ, बारह मसलों की चाट, एहसास थोड़ा तो जगाएं, गर्दभ महाराज उर्फ ढेंचू- ढेंचू इत्यादि हैं। आगामी प्रस्तुतियों में महाभारत एक धर्मयुद्ध, लता मंगेशकर एक युग, ताज-ए-लखनऊ, जीवन संध्या, लवकुश महागाथा, दशानन की लंका इत्यादि हैं। नाटक के क्षेत्र में अमित दीक्षित को भारत सरकार द्वारा सन 2000 में प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी।
वास्तव में उल्लेखनीय और प्रामाणिक कलाकार, संगीतकार और नौटंकी कलाकार – अमित दीक्षित भारतीय नाटक, नौटंकी और कहानी के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम के साथ ही हर पल कुछ नया और सार्थक करने का प्रयास कर रहे हैं, नए विचार और कला के सुंदर रंगों के नित नए आयाम गढ़ने में वो दिन रात एक कर रहे हैं और उनके परिवार और उनको देखने सुनने वाले तो यहां तक बताते हैं कि कभी कभी तो वो पूरी रात लिखते-पढ़ते हैं और सुबह अपने कार्य से निकल जाते हैं, उनकी इस अथक साधना, तपस्या और सच्ची लगन का ही परिणाम है कि आज वो प्रतिष्ठित नाम ही नहीं बल्कि लोगों के लिए प्रेरणास्रोत भी हैं।