श्री डिग्गी कल्याण जी (Shri Diggi Kalyanji) ऐसा मन्दिर जहां दर्शन करने और चरणामृत पीने से आंखों की ज्योति वापस मिल जाती है और कुष्ठरोग भी ठीक हो जाता है।
जयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर जयपुर टोडारायसिंह सड़क मार्ग पर डिग्गी कस्बे में श्री कल्याण जी का मंदिर स्थित है। इस मन्दिर में श्री कल्याण जी की सेवा गुर्जर गौड़ ब्राह्मणों के द्वारा की जाती है। श्री कल्याण जी की मूर्ति भी मुगलों की धर्मान्धता और अत्याचार से नहीं बच पायी और घूमते – घूमते डिग्गी कस्बे में लाकर स्थापित की गई। मान्यता है कि यह मूर्ति चमत्कारी, फलदायक, और पुण्य लाभ देने वाली है।
आस्था और विश्वास का केंद्र
मान्यता है कि कल्याण जी की मूर्ति के दर्शन व चरणामृत पान से आंखों की ज्योति पुनः प्राप्त हो जाती हैं, कुष्ठ रोग का निदान हो जाता है, निसंतान को संतान प्राप्त करते हैं और निर्धन धनवान हो जाते हैं। “आंधां न आंख्यां दिजे म्हारा डिग्गी पुरी का राजा” इस तरह के गीत गाए जाते हैं यहां इस प्रकार यह मूर्ति जन-जन की आस्था एवं विश्वास का केंद्र बन गई है।
कल्याण जी की भोग प्रसादी
मंगला के समय मेवा श्रंगार के समय मिश्री मावा तथा चूरमा दाल बाटी का दोपहर में भोग लगाया जाता है। शाम के समय दूध बाटी का भोग लगाया जाता है भक्तजन भी यह प्रसाद पा सकते हैं। अधिकांश जनता कल्याण जी के मिश्री मखाने का प्रसाद चढ़ाते हैं।
डिग्गी मेला(Shri Diggi Kalyanji)
प्रत्येक एकादशी, पूर्णिमा को यहां मेला लगा रहता है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा, जलझूलनी एकादशी, श्रावण मास की पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा और वैशाख की पूर्णिमा को यहां भव्य मेला लगता है। श्रावण मास में करौली गंगापुर हिंडौन उनियारा जयपुर निवाई टोडरायसिंह मालपुरा आदि कई स्थानों से पदयात्रा श्री कल्याण जी के दर्शन करने पहुंचती हैं।
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