राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद कई वर्षों से देश में चल रहा था. जिसका फैसला 9 नवंबर 2019 को शनिवार सुबह 10:30 हुआ. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनेगा. मुस्लिम पक्ष को अलग से जमीन दी जाएगी. राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 3 महीने का समय दिया है. जिसमें ट्रस्ट बनाने के आदेश भी दिए गए हैं. जो पूरे राम मंदिर निर्माण कार्य को संभालेगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है.
राम मंदिर फैसला के मुख्य बिंदु
राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार बनाएगी 3 महीने में ट्रस्ट, विवादित जमीन केंद्र सरकार के संरक्षण में रहेगी.
विवादित जमीन पर सिर्फ राम मंदिर ही बनाया जाएगा.
मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई जाएगी.
दस्तावेजों के अनुसार अहाते और चबूतरे पर हिंदुओं के अधिकार के सबूत मिलते हैं. जो कि पुराने राम मंदिर को दर्शाते है.
शिया वक्फ बोर्ड का जो ढांचा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को दिया था उसे न्यायालय ने खारिज कर दिया है.
निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया गया है कोर्ट ने कहा कि अखाड़े का दावा सीमा के दायरे से बाहर है.
पूरे देश में शांति के लिए गुजारिश
अयोध्या विवादित जमीन का फैसला आने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिमों से अपील की है कि किसी भी तरह का प्रदर्शन यार रैली नहीं निकाली जाए. फैसले के खिलाफ अभी क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के बारे में कुछ तय नहीं किया गया है. वही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा “शीर्ष अदालत ने एक लैंडमार्क जजमेंट दिया है. मेरी सभी लोगों से अपील है कि शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखें ” जबकि नरेंद्र मोदी ने एक रात पहले ही ट्वीट कर सभी देशवासियों को शांति और संयम बनाए रखने की अपील की थी.