मध्य प्रदेश के हनीट्रैप केस मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. मध्य प्रदेश में आज कल जिस शब्द की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह है हनी ट्रैप. हाल ही में भाजपा सांसद वरूण गांधी के हनी ट्रैप को लेकर मीडिया में यह मामला चर्चा में है. हालांकि इससे पहले भी देश में कई हनी ट्रैप के मामले सामने आ चुके हैं दरअसल, दुनिया के तमाम देश अपने दुश्मन का राज जानने के लिए नए-नए हथकंडे आजमाते रहते हैं. उन्हीं में से एक है हनी ट्रैप. इसमें महिलाओं का सहारा लिया जाता है. फेसबुक या हाई प्रोफाइल पार्टियों के जरिए टारगेटेड लोगों की लड़कियों से दोस्ती कराई जाती है.
फिर धीरे धीरे ईमेल और फोन नंबरों का आदान प्रदान कराया जाता है. हनी ट्रैप के मिशन पर निकली महिला उस व्यक्ति के साथ घुमने और मिलने का सिलसिला शुरू करती है. फिर वह महिला दोस्ती की आड़ में जरूरी जानकारियां हासिल करती है. इतना ही नहीं अगर टारगेटेड व्यक्ति की कोई आपत्तिजनक तस्वीर या खास बातचीत की कोई डिटेल हाथ लग जाए तो उसे जगजाहिर करने की धमकी दी जाती है.
अब पुलिस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अफसरों और नेताओं के फोन को टैप किया जा रहा था। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता था. पुलिस के मुताबिक आरोपी श्वेता विजय जैन ने बंगलूरू की प्राइवेट कंपनी को फोन टैप करने का जिम्मा सौंपा था. जो कंपनी अफसर और नेताओं के फोन टैप कर रही थी वह एक सॉफ्टवेयर कंपनी है. जिसे संतोष नाम का एक शख्स चलाता है.
ब्लैकमेलर ने एमपी के जिन नेताओं-मंत्रियों और अफसरों के अश्लील वीडियो बनाए, उनसे इसके बदले में बड़ी कीमत वसूली गई. एसआईटी को जांच के दौरान पता चला कि ये अब तक करीब 15 करोड़ से भी ज़्यादा की रकम वसूल कर चुकी हैं. पुलिस के मुताबिक ये मध्य प्रदेश के करीब 12 जिलों में अपना सेक्स रैकेट चला रही थीं.